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सोने में तूफानी तेजी का परिदृश्य

डॉ जयंतीलाल भंडारी अर्थशास्त्री jlbhandari@gmail.com इन दिनों पूरी दुनिया में सोने में तूफानी तेजी का परिदृश्य दिख रहा है और सोने की कीमतें छह साल की ऊंचाई पर पहुंच गयी हैं. इसके चार प्रमुख कारण हैं. एक, दुनिया के केंद्रीय बैंकों के द्वारा डॉलर की तुलना में सोने को महत्व दिया जा रहा है और […]

डॉ जयंतीलाल भंडारी
अर्थशास्त्री
jlbhandari@gmail.com
इन दिनों पूरी दुनिया में सोने में तूफानी तेजी का परिदृश्य दिख रहा है और सोने की कीमतें छह साल की ऊंचाई पर पहुंच गयी हैं. इसके चार प्रमुख कारण हैं. एक, दुनिया के केंद्रीय बैंकों के द्वारा डॉलर की तुलना में सोने को महत्व दिया जा रहा है और वे सोने की खरीदी बढ़ा रहे हैं.
दो, अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ते तनाव से युद्ध की आशंका बढ़ गयी है. तीन, अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वार के कारण वैश्विक मंदी का डर सता रहा है. ऐसे में निवेशक सोने की खरीदी को उपयुक्त मान रहे हैं. चार, अमेरिका में ब्याज दरें घटने की संभावना से डॉलर कमजोर हुआ है और इससे सोने की चमक तेज हुई है.
गौरतलब है कि पूरी दुनिया के अधिकतर केंद्रीय बैंकों द्वारा की जा रही सोने की अधिक खरीदी के कारण सोने की कीमतें सर्वोच्च ऊंचाई पर पहुंच गयी हैं. जून 2015 में सोने की जो कीमतें करीब 1,070 डॉलर प्रति औंस थी, वह जून 2019 में करीब 1,400 डॉलर प्रति औंस के पार हो गयी है. भारत में 26 जून, 2019 को सोने की कीमत 35 हजार 960 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गयी है. सोने की अधिक कीमत हो जाने के कारण लोगों के द्वारा पुराने सोने तथा गहनों की बिक्री बढ़ गयी है.
रूस, चीन और भारत सहित दुनिया के कई देशों के केंद्रीय बैंकों ने पिछले कुछ महीनों में काफी मात्रा में सोना खरीदा है. कुल 613 टन सोने के भंडार के साथ आरबीआइ 10वां सबसे बड़ा सोना भंडार वाला केंद्रीय बैंक है. वेस्ट गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2019 में केंद्रीय बैंकों की सोने की मांग कई दशकों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गयी है.
सोने की कीमतों में नयी तेजी की जड़ें दुनिया के कई विकसित देशों द्वारा डॉलर के नये विकल्प की तलाश में आगे बढ़ना भी है. अमेरिकी डॉलर की तुलना में सोना खरीदने पर चीन अधिक जोर दे रहा है. कच्चे तेल के भंडार रखनेवाले कई खाड़ी देश भी सोना खरीद रहे हैं. यद्यपि अमेरिका के पास सबसे बड़ा हथियार पेट्रो डॉलर है, लेकिन डॉलर के विकल्प बहुत तेजी से उभर रहे हैं. ऐसे में वैश्विक अर्थव्यवस्था में डॉलर की तुलना में सोना अधिक लाभकारी दिख रहा है.
अमेरिका आनेवाली हर बाहरी वस्तु पर जिस तरह आयात शुल्क बढ़ा रहा है, उसने दुनिया के कई देशों को डॉलर केंद्रित व्यवस्था से दूरी बनाने के लिए प्रवृत्त कर दिया है. ऐसे में निकट भविष्य में सोना मजबूत बना रह सकता है.
चीन तथा रूस के साथ अमेरिका का विरोध करनेवाले देशों के द्वारा डॉलर की धार को मंद करना भी सोने की कीमतों की तेजी एक वजह है. ये देश डॉलर की तुलना में सोने को महत्व दे रहे हैं तथा बिक्री के लिए उपलब्ध सोने में से खूब सोना खरीद रहे हैं.
भारत में सोने की बढ़ती मांग बता रही है कि एक बार फिर भारत के अधिकांश बचतकर्ता सोने की तरफ आकर्षित हो रहे हैं. सोने की कुल वैश्विक मांग का एक तिहाई भारत में है. भारत में सोने की 90 फीसदी मांग आभूषणों या भगवान को चढ़ाने के लिए होती है. सोने के आभूषण पहनना हमारी संस्कृति का अंग भी है. सोने में अमीरों द्वारा किये जानेवाले निवेश के साथ गरीबों की ओर से भी लगातार ज्यादा निवेश किया जा रहा है.
वे भी अपनी छोटी-छोटी बचतों से सोने की छोटी-छोटी वस्तुएं खरीदते हैं. प्रतिवर्ष देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का तीन फीसदी सोने के रूप में कम उत्पादक पूंजी में बदल रहा है. यदि हम यह सोचकर बढ़ती हुई सोने की मांग को खारिज कर दें कि सोने को लेकर भारतीयों की कमजोरी पुरानी है, तो हमारा यह विश्लेषण गलत होगा. आंकड़े बता रहे हैं कि हमारे देश में जब भी अधिक उपयोगिता दिखती है, तब सोने की मांग बढ़ती है तथा आयात भी बढ़ता है.
हमारे देश में इस समय सोने की खरीदी बढ़ने का एक बड़ा कारण यह भी है कि विभिन्न बचत योजनाओं में बचत करनेवालों को समुचित प्रतिफल हासिल नहीं हो रहा है.
बीते 24 जून को केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने संकेत दिये कि विभिन्न छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में और कमी की जायेगी. अब भी देश के ज्यादातर लोग शेयर बाजार में निवेश से दूर हैं. उन्हें यह साफ नजर आ रहा है कि सोने में निवेश किसी अन्य बचत योजना की तुलना में अधिक लाभप्रद होगा.
भारत जैसे विकासशील देश के लिए सोने में निवेश उत्पादक नहीं है. ऐसे में सोने की मांग घटाने के सार्थक प्रयास किये जाने जरूरी हैं. हमारे देश में जो बचत अब भी सामाजिक सुरक्षा का प्रमुख आधार बनी हुई है, वह बचत कम ब्याज दर से घटती जा रही है.
सोने में निवेश करनेवालों के कदम शेयर बाजार की ओर मोड़ने के लिए लोगों का शेयर बाजार में विश्वास बढ़ाना होगा. भारत के शेयर और पूंजी बाजार को मजबूत बनाने के लिए जरूरी है कि सेबी शेयर बाजार की गतिविधियों पर सतर्कता से ध्यान देकर उसे स्वस्थ दिशा प्रदान करे और शेयर बाजार में निवेशकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे.
हम आशा करें कि सरकार देश में चीन और अमेरिका के बीच बढ़ते ट्रेड वार की चिंताओं, अमेरिका और ईरान के बीच युद्ध की बढ़ती चिंताओं और दुनिया के विभिन्न केंद्रीय बैंकों के द्वारा सोने की बढ़ती हुई खरीदारी के बीच देश के उपभोक्ताओं द्वारा सोने की मांग की चिंताओं को समझकर मांग घटाने के लिए विभिन्न बचत एवं निवेश योजनाओं को इस तरह आकर्षक एवं सुरक्षित बनायेगी कि बचत करनेवालों को समुचित प्रतिफल मिले और बचतकर्ता के कदम सोने की खरीदी की बजाय बचत योजनाओं में निवेश की डगर पर आगे बढ़ें.

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