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ट्रंप को समझना बहुत ही मुश्किल
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का चरित्र एक अबूझ पहेली है. उन्हें समझ पाना बहुत मुश्किल है. पल में तोला, पल में माशा. बाहर से गरम और भीतर से नरम. तभी तो वे उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन से मिलने उनके देश की सीमा के भीतर चले गये. इसे ऐतिहासिक घटना कहा जायेगा. आजतक […]
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का चरित्र एक अबूझ पहेली है. उन्हें समझ पाना बहुत मुश्किल है. पल में तोला, पल में माशा. बाहर से गरम और भीतर से नरम. तभी तो वे उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन से मिलने उनके देश की सीमा के भीतर चले गये. इसे ऐतिहासिक घटना कहा जायेगा. आजतक किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने ऐसा नहीं किया. यहां तक कि प्योंगयांग में अमेरिका का दूतावास भी नहीं है. पिछली मुलाकात के दौरान दोनों देशों के संबंध काफी तल्ख हो गये थे.
लगता है अब रिश्तों पर जमा बर्फ पिघलनी चाहिए. दोनों ओर से नरमी की उम्मीद है. ट्रंप दिल से काफी नरम मिजाज के हैं, तभी तो चीनी राष्ट्रपति सी जिनपिंग से मुलाकात होते ही चीनी मोबाइल कंपनी हुआवे पर प्रतिबंध को ढीला कर दिया. कहने का अर्थ यह हुआ कि ट्रंप साहब सनकी जरूर हैं, मगर दूसरों का दर्द भी समझते हैं.
जंग बहादुर सिंह, गोलपहाड़ी,जमशेदपुर
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