कौन पार लगायेगा कांग्रेस की नैया
अब यह पक्का हो गया है कि नेहरू-गांधी परिवार से कोई भी कांग्रेस का अध्यक्ष नहीं बनने वाला है. राहुल गांधी के इस्तीफे को जो लोग नौटंकी कह रहे थे, उन्हें जोर का झटका धीरे से लगा है. कांग्रेस एक परिवार की पार्टी है, यह एक अधिप्रचार ही तो है, क्योंकि कांग्रेस का 134 साल […]
अब यह पक्का हो गया है कि नेहरू-गांधी परिवार से कोई भी कांग्रेस का अध्यक्ष नहीं बनने वाला है. राहुल गांधी के इस्तीफे को जो लोग नौटंकी कह रहे थे, उन्हें जोर का झटका धीरे से लगा है. कांग्रेस एक परिवार की पार्टी है, यह एक अधिप्रचार ही तो है, क्योंकि कांग्रेस का 134 साल पुराना इतिहास देखेंगे, तो सिर्फ 46 साल ही इस परिवार के लोग शीर्ष पद पर आसीन रहे. इंदिरा गांधी के बाद परिवारवाद ने ज्यादा जोर पकड़ा.
इस दरम्यान कोशिश हुई भी कि बाहर से लोग आएं. नरसिंह राव और सीताराम केसरी के काल में देखा गया कि कैसे पार्टी में आंतरिक घमसान मचा था. इस समय कांग्रेस के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. लोकतंत्र रूपी बाजार में जो दिखता है, वही बिकता है. नयी पीढ़ी दल के साथ नहीं जुड़ रही है. अभी तो यही सोचना चाहिए कि कांग्रेस की नैया को कौन मझधार से बाहर निकालेगा?
जंग बहादुर सिंह, गोलपहाड़ी, जमशेदपुर