राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी पहल
रक्षा मंत्री-सह-वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रक्षा खरीद से संबंधित बड़े फैसलों को मंजूरी दी है. रिपोर्टो के अनुसार, शनिवार को बतौर रक्षा मंत्री डिफेंस एक्विजिशन कौंसिल (डीएसी) की बैठक की अध्यक्षता करते हुए जेटली ने 34,260 करोड़ रुपये के खरीद की अनुमति दी. पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी के कार्यकाल के दौरान रक्षा सेनाओं […]
रक्षा मंत्री-सह-वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रक्षा खरीद से संबंधित बड़े फैसलों को मंजूरी दी है. रिपोर्टो के अनुसार, शनिवार को बतौर रक्षा मंत्री डिफेंस एक्विजिशन कौंसिल (डीएसी) की बैठक की अध्यक्षता करते हुए जेटली ने 34,260 करोड़ रुपये के खरीद की अनुमति दी.
पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी के कार्यकाल के दौरान रक्षा सेनाओं की मांग व जरूरतों के मुताबिक खरीद से संबंधित निर्णय लेने में अनावश्यक देरी को भारतीय जनता पार्टी ने बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया था और यह वादा किया था कि सरकार में आने पर वह त्वरित निर्णय लेगी. 24 जून को नौसेना के एक कार्यक्रम में भी जेटली ने यह इरादा दोहराते हुए कहा था कि राष्ट्र की सुरक्षा के लिए आवश्यक धन उपलब्ध कराया जायेगा.
10 जुलाई को पेश आम बजट में रक्षा बजट में लगभग 12.5 फीसदी की बढ़त करते हुए 2.29 लाख करोड़ का प्रावधान किया गया है और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा को 26 से बढ़ा कर 49 फीसदी किया गया है. बहुत लंबे अरसे से सेनाएं हथियारों, गोला-बारूद, अत्याधुनिक तकनीकी औजार और अन्य जरूरी साजो-सामान की मांग कर रही हैं. नौसेना और वायु सेना में हुई कई दुर्घटनाओं का जिम्मेवार साजो-सामान और समुचित रखरखाव में कमी को माना गया था. चीन और पाकिस्तान की ओर से होनेवाली घुसपैठ और अनियमित गोलाबारी को रोकने के लिए थल सेना भी अत्याधुनिक हथियारों की मांग कर रही थी. आंतरिक सुरक्षा के लिए भी सेना की मदद अहम है.
ऐसे में यह जरूरी है कि हमारी सैन्य व्यवस्था मजबूत और सक्षम रहे. डीएसी ने इस निर्णय में तीनों सेनाओं की जरूरतों का ख्याल रखा है. प्रस्तावित खरीद में जहाज, छोटे हेलिकॉप्टर, सहायक समुद्री जहाज, नौसैनिक निगरानी के लिए नाव, खोजी व बचाव उपकरण आदि शामिल हैं. हवाई जहाजों व हेलिकॉप्टरों को निजी क्षेत्र से लिया जायेगा, जिसमें विदेशी कंपनियां भारतीय कंपनी के साथ सहयोग से शामिल हो सकती हैं. इसके अनुसार पहले 16 जहाज बाहर बनेंगे, पर अन्य 40 भारत में निर्मित होंगे, जिसके लिए उस कंपनी को तकनीक अपने भारतीय सहयोगी को देनी होगी. इससे आर्थिक और तकनीकी लाभ भी होगा. सरकार को इन निर्णयों को तुरंत अमल करना चाहिए.