छोटे और बड़े सभी उद्यमियों के लिए बढ़िया बजट

गुरचरण दास लेखक यह बजट अर्थव्यवस्था में वृद्धि लायेगा. यह पाॅपुलिस्ट है, मतलब कि जैसे चुनाव में बहुत तरह के वादे किये जाते हैं तो यह वैसा होगा. तो यह वाकई ग्रोथ बजट है और लोगों के लिए खुशी की बात है. दूसरी बात यह है कि इस समय देश में रोजगार, नौकरी सबसे बड़ा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 6, 2019 2:16 AM

गुरचरण दास

लेखक
यह बजट अर्थव्यवस्था में वृद्धि लायेगा. यह पाॅपुलिस्ट है, मतलब कि जैसे चुनाव में बहुत तरह के वादे किये जाते हैं तो यह वैसा होगा. तो यह वाकई ग्रोथ बजट है और लोगों के लिए खुशी की बात है. दूसरी बात यह है कि इस समय देश में रोजगार, नौकरी सबसे बड़ा मुद्दा है तो रोजगार और नौकरियों निजी निवेश से आयेंगी.
यहां सवाल यह है कि निवेशक अब निवेश करेंगे कि नहीं. व्यवसायी तब निवेश करते हैं जब मांग होती है. तो अगर मांग बढ़ेगी तो फिर निवेश होगा. बहुत कुछ है बजट में, लेकिन मांग बढ़ाने के लिए खास कदम उठाने की जरूरत है. लेकिन अगर संपूर्ण बजट देखा जाये तो काफी कुछ है इसमें जिससे कॉरपोरेट भी खुश होंगे.
एक जरूरी बात यह की गयी है कि कॉरपोरट टैक्स रेट में की गयी है, चार सौ करोड़ तक की सेल्स पर टैक्स कम करके 30 प्रतिशत से 25 प्रतिशत कर दिया है. तो मतलब 99 प्रतिशत कॉरपोरेट्स इस दायरे में आते हैं, सिर्फ एक प्रतिशत ऐसे हैं जिनकी सेल चार सौ करोड़ के ऊपर होती है. ये तो अच्छी बात है. इससे कॉरपोरेट्स को फायदा होगा. जो छोटे उद्यमी हैं, जिसे एसएमई, एमएसएमई कहते हैं, यानी जो स्टार्ट-अप्स वगैरह हैं उनके लिए काफी कुछ है इस बजट में.
मतलब कि 59 मिनट में लो काॅस्ट लोन मिलेगा अब इन्हें. इनके लिए एक्सेस कैपिटल बढ़ा दिया गया है. दूसरे इन छोटे उद्यमियों को टैक्स वाले भी तंग नहीं करेंगे. लेकिन बड़े उद्यमियों को भी फायदा है. इन्हें ऑनलाइन टैक्स भरना होगा, ऑनलाइन रिफंड आयेगा और कोई टैक्सवाला इन्हें तंग नहीं करेगा.
सब कुछ ऑनलाइन ही हो जायेगा. एक अच्छी बात है कि एफडीआई खोल रहे हैं एविएशन में, मीडिया में, इंश्योरेंस में, स्वास्थ्य में. तो जब देश में निवेश होगा तो प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी, तो ऐसा होना सबके लिए अच्छा होता है. लेकिन जो कंपनियां प्रतिस्पर्धा करती हैं, वो इसे इतना पसंद नहीं करतीं.
एक अच्छी बात हुई है श्रम सुधार आयोग बनाने की. चार लेबर कोर्ट्स होंगी अभी तो करीब सौ पीसेज ऑफ लेबर लेजिस्लेशन हैं. उसकी जगह केवल चार होंगी. और इस वक्त श्रम सुधार बहुत जरूरी है. एक है कि जो सुपर रिच हैं, ये कंपनियों की बात नहीं है, ये इंडिविजुअल की है, जिन लोगों की टैक्सेबल इनकम अगर दो से पांच करोड़ हो उनके ऊपर तीन प्रतिशत कर बढ़ा दिया है.
और जो पांच करोड़ के ऊपर हैं, उन पर सात प्रतिशत टैक्स बढ़ा दिया है. जो अमीर लोग हैं, उन पर कर का बोझ ज्यादा हो गया है. एक और नकारात्मक बात है इस टैक्स रेट में. काफी चीजों पर इंपोर्ट ड्यूटी यानी आयात शुल्क बढ़ा दी गयी है. इससे आयात करने की कीमत बढ़ जायेगी.

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