ये कैसा न्यू इंडिया है
हमारे प्रधानमंत्री जी का एक स्लोगन है ‘न्यू इंडिया’, परंतु आज की परिस्थिति देख कर नहीं लगता कि हमारा देश न्यू इंडिया बनने के पथ पर अग्रसर है. आज भी देश धर्म, जाति, बिरादरी, समुदाय के नाम पर बंटा हुआ है. ताजा मुद्दे की बात की जाए, तो उत्तर प्रदेश में एक दलित युवक और […]
हमारे प्रधानमंत्री जी का एक स्लोगन है ‘न्यू इंडिया’, परंतु आज की परिस्थिति देख कर नहीं लगता कि हमारा देश न्यू इंडिया बनने के पथ पर अग्रसर है.
आज भी देश धर्म, जाति, बिरादरी, समुदाय के नाम पर बंटा हुआ है. ताजा मुद्दे की बात की जाए, तो उत्तर प्रदेश में एक दलित युवक और ब्राह्मण विधायक की बेटी की शादी पर न्यूज चैनल द्वारा हाय-तौबा मचा कर रख दिया गया है और वहीं दूसरी तरफ 11 दिनों में तीन स्वर्ण पदक हासिल करने वाली भारत की बेटी हिमा दास के बारे में चर्चा तक नहीं की जाती. आज देश में बेरोजगारी दर 6.1 प्रतिशत है.
शिक्षा का व्यवसायीकरण किया जा रहा है. स्वास्थ्य व्यवस्था चौपट हो रही है. बिहार में चमकी बुखार से हर साल हो रही बच्चों के मौत के मुद्दे पर कोई सरकार बात करने के लिए तैयार नहीं है. इसका समाधान आज तक नहीं आ सका है. ऐसे में ‘न्यू इंडिया’ का सपना कैसे साकार होगा?
सोनू कुमार गुप्ता, गिरिडीह