सरकार नियोजित शिक्षकों की समस्याओं का निराकरण करे
बिहार में कार्यरत लाखों नियोजित शिक्षक वर्षों से वेतनमान की लंबी लड़ाई लड़ रहे हैं. सड़क से लेकर सदन तक, उसके बाद न्यायालय का चक्कर भी लगा चुके हैं. हाइकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक शिक्षकों की वेतनमान के लिए लंबी लड़ाई हुई है. उच्चतम न्यायालय में शिक्षकों को हार का मुंह देखना पड़ा, फिर […]
बिहार में कार्यरत लाखों नियोजित शिक्षक वर्षों से वेतनमान की लंबी लड़ाई लड़ रहे हैं. सड़क से लेकर सदन तक, उसके बाद न्यायालय का चक्कर भी लगा चुके हैं.
हाइकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक शिक्षकों की वेतनमान के लिए लंबी लड़ाई हुई है. उच्चतम न्यायालय में शिक्षकों को हार का मुंह देखना पड़ा, फिर भी शिक्षकों को अब भी बिहार सरकार से आशा है कि वह कुछ सम्मानजनक वेतनमान की व्यवस्था कर सकती है. इसके लिए समय-समय पर नियोजित शिक्षक संघ अपनी उपस्थिति पटना की सड़कों पर दर्ज कराते रहते हैं. ऐसे में शिक्षकों की समस्याओं को समझते हुए सरकार को चाहिए कि सराहनीय पहल करे. पुलिस का डंडा समस्या का समाधान नहीं है.
टीपू चौधरी, बल्लीपुर (समस्तीपुर)