जेब पर भारी न पड़े यह त्वरित विकास

‘त्वरित विकास’ मोदी सरकार की सोच को परिभाषित करनेवाला शब्द है. सरकार ने त्वरित विकास के प्राथमिक क्षेत्रों को अंगरेजी के ‘टी’ वर्ण के सहारे सूत्रबद्ध करते हुए उनमें ‘ट्रेडिशन, टैलेंट, टेक्नॉलॉजी, ट्रेड, टूरिज्म’ के नाम गिनाये थे. अब मोदी सरकार की विकास-योजना के ताजा 17 सूत्री एजेंडे में भी ये ही पांच शब्द निर्णायक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 24, 2014 5:32 AM

‘त्वरित विकास’ मोदी सरकार की सोच को परिभाषित करनेवाला शब्द है. सरकार ने त्वरित विकास के प्राथमिक क्षेत्रों को अंगरेजी के ‘टी’ वर्ण के सहारे सूत्रबद्ध करते हुए उनमें ‘ट्रेडिशन, टैलेंट, टेक्नॉलॉजी, ट्रेड, टूरिज्म’ के नाम गिनाये थे.

अब मोदी सरकार की विकास-योजना के ताजा 17 सूत्री एजेंडे में भी ये ही पांच शब्द निर्णायक दिख रहे हैं. कहा जा सकता है कि यह कार्ययोजना प्रौद्योगिकी के बूते आवागमन को कुछ इस तरह सुगम बनाने की भावना से प्रेरित है कि व्यापार और रोजगार में इजाफा हो.

यही कारण है कि इस एजेंडे में देश के किसी भी हिस्से में 24 घंटे के भीतर पहुंचने के लिए परिवहन नेटवर्क तैयार करने पर बहुत जोर है. देश में परिवहन की दशा सुधारने के लिए पूर्वी और पश्चिमी तटों पर तटवर्ती नेटवर्क का प्रस्ताव करते हुए इन्हें आपस में जोड़ने के लिए ‘अक्षांश मार्ग एक्सप्रेस-वे’ की बात कही गयी है.

साथ ही, मध्य प्रदेश से आंध्र प्रदेश तक कान्हा-कृष्णा कॉरिडोर के निर्माण के जरिये हाइवे, रेल नेटवर्क और गैस तथा तेल की पाइपलाइन बिछाने की बात कही गयी है. शहरों में मेट्रो ट्रेन और बीआरटी सिस्टम विकसित करने पर भी बल दिया गया है. चूंकि कार्ययोजना मुख्यत: आधारभूत संरचना के विकास पर केंद्रित है, इसलिए उसमें श्रम सुधारों के अंतर्गत अनुबंध की जगह नियत अवधि की नौकरी की बात भी शामिल है.

कार्ययोजना पर मोदी सरकार के पहले 100 दिनों के भीतर अमल शुरू हों, इसके लिए मंत्रालयों से रिपोर्ट भी मांगी गयी है. लेकिन, त्वरित विकास की मंशा से प्रेरित इस कार्ययोजना के लिए धन कहां से आयेगा, इस बारे में कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं है.

हालांकि, इस साल के बजट भाषण से इसका अनुमान लगाया जा सकता है. रेल-बजट के साथ-साथ आम बजट में भी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश जुटाने और परियोजनाओं में ‘पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप’ (पीपीपी) बढ़ाने की बात कही गयी थी. इस कार्ययोजना में शामिल कॉरिडोर और एक्सप्रेस-वे के लिए इसी रास्ते धन जुटाये जाएंगे.

ऐसे में यह तो माना जा सकता है कि परिवहन सुगम होगा, पर वह आम लोगों की जेब पर भारी न पड़े, इसका उपाय भी करना चाहिए. साथ ही, सूक्ष्म स्तर पर योजना तैयार कर परिवहन के पुराने पड़ चुके ढांचे को भी दुरुस्त किया जाना चाहिए.

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