कार्रवाई करें इमरान

भारत लंबे अरसे से कहता रहा है कि पाकिस्तान दक्षिण एशियाई आतंकवाद को संरक्षण और समर्थन देता है. भारत और अफगानिस्तान में अस्थिरता फैलाना उसकी विदेश और रक्षा नीति का हिस्सा है. इस मसले पर भारत ने अक्सर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने ठोस सबूत भी रखा है. आखिरकार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने इस […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 26, 2019 4:24 AM
भारत लंबे अरसे से कहता रहा है कि पाकिस्तान दक्षिण एशियाई आतंकवाद को संरक्षण और समर्थन देता है. भारत और अफगानिस्तान में अस्थिरता फैलाना उसकी विदेश और रक्षा नीति का हिस्सा है. इस मसले पर भारत ने अक्सर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने ठोस सबूत भी रखा है. आखिरकार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने इस सच को माना है कि उसकी धरती पर तीस-चालीस हजार आतंकी सक्रिय रहे हैं.
उन्होंने यह भी कहा है कि पूर्ववर्ती सरकारें इसे अमेरिका से छुपाती रही थीं तथा अल-कायदा के सरगना ओसामा बिन लादेन के बरसों से पाकिस्तान में होने की जानकारी सरकारों को थी और खुफिया संस्था आइएसआइ के जरिये ही अमेरिकी सैनिकों ने उसे मार गिराया था. उनका यह कहना भी बिल्कुल सही है कि इन गिरोहों के वजह से एक देश के रूप में पाकिस्तान का अस्तित्व भी खतरे में पड़ गया था.
हालांकि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री का बयान सराहनीय है, पर उन्हें यह भी स्वीकार करना चाहिए कि पाकिस्तान में अपना बड़ा नेटवर्क बनाकर ये आतंकी गिरोह हिंसक, चरमपंथी और अलगाववादी विचारों और गतिविधियों का प्रचार-प्रसार भारत और अफगानिस्तान समेत दक्षिणी एशिया में करते रहे हैं. दुनिया के अन्य हिस्सों में हुए आतंकी वारदातों के तार पाकिस्तानी गिरोहों से जुड़ने के अनेक उदाहरण हैं. जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तानी सेना की गोलाबारी की आड़ में आतंकवादियों की घुसपैठ होती रही है. कश्मीरी अलगाववादियों को धन देने तथा युवाओं को गुमराह करने की नीति को भी सरकारी समर्थन रहा है.
भारत में हुए अनेक आतंकी हमलों के साजिशकर्ता हाफिज सईद और मसूद अजहर जैसे सरगना हिंसा की खुलेआम वकालत करते हैं तथा आतंकियों को प्रशिक्षित करते हैं. जब अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ता है, तो दिखावे के लिए कुछ कार्रवाई कर दी जाती है, जैसा कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के अमेरिका दौरे से पहले हाफिज सईद को गिरफ्तार किया गया. कुख्यात आइएसआइ और आतंकी गिरोहों के जरिये तालिबान को मदद भी करता रहा है.
आज भले पाकिस्तान की ढहती अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए प्रधानमंत्री अमेरिका को आश्वस्त करना चाहते हों, पर उनके अनेक मंत्रियों और सैन्य अधिकारियों के बयानों से ऐसा नहीं लगता है कि पाकिस्तान आतंकवाद पर दशकों पुराने अपने रवैये में बदलाव को लेकर गंभीर है. बहरहाल, अब जब दुनिया के सामने आतंकी गिरोहों की सक्रियता के सच को मान लिया गया है, तो प्रधानमंत्री इमरान खान को उनके खिलाफ ठोस कार्रवाई भी करनी चाहिए.
इससे पाकिस्तान के नागरिकों और सुरक्षाकर्मियों को राहत मिलेगी तथा भारत समेत दक्षिण एशिया में भी स्थिरता का माहौल बनेगा. कश्मीर से लेकर काबुल तक भारत शांति और विकास के लिए प्रयासरत है. इसमें पाकिस्तान के लिए जिम्मेदार और जवाबदेह भूमिका निभाने का मौका है.

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