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आलोक पुराणिक वरिष्ठ व्यंग्यकार puranika@gmail.com मुंबई में मेनहोल खुले हैं बच्चे डूब के मर रहे हैं. सरकार क्या कर रही है. सरकार की पार्टी अगले चुनाव की तैयारी कर रही है. विपक्ष भी यही कर रहा है. चुनाव की तैयारी से बड़ा कोई काम ना है. नेता लोग अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं. जनता अपनी […]

आलोक पुराणिक
वरिष्ठ व्यंग्यकार
puranika@gmail.com
मुंबई में मेनहोल खुले हैं बच्चे डूब के मर रहे हैं. सरकार क्या कर रही है. सरकार की पार्टी अगले चुनाव की तैयारी कर रही है. विपक्ष भी यही कर रहा है. चुनाव की तैयारी से बड़ा कोई काम ना है. नेता लोग अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं. जनता अपनी ड्यूटी निभाये. जनता को ज्यादा आफत है, तो वह अपनी सड़क अलग बनवा ले. अपने मेनहोल अलग बनवा ले.
सवाल है कि सब काम जनता ही कर लेगी, तो सरकार क्या करेगी? जवाब है सरकार कड़ी नजर रखेगी और चुनाव की तैयारी करेगी. सवाल है कि देश के पूर्वी हिस्सों में बाढ़ पानी से तबाही है. जवाब है सरकार यहां भी चुनाव की तैयारी करेगी. जनता चाहे तो अपने बांध बनवा ले.
सरकार की जान को बहुत काम होते हैं. कर्नाटक देखकर पता लगता है कि सरकार बनी रहे, सरकार का पहला काम यही होता है और आखिरी काम भी यही होता है. सरकार बाढ़-पानी देखे कि अपना बना रहना देखे. सरकार बनी रहती है और जनता को बेवकूफ बनाती रहती है.
स्कूल सही काम ना कर रहे सरकार के, तो जनता प्राइवेट स्कूल में भेजे अपने बच्चों को. पर प्राइवेट स्कूल में भेजने के लिए पैसे कहां से आयें? पैसे कहां से आयें, यह आर्थिक सवाल है इसे शिक्षा के सवाल से जोड़कर नहीं देखना चाहिए. सरकारी अस्पतालों के हाल खराब हैं, तो निजी अस्पताल जायें.
सरकारी अस्पताल और निजी अस्पताल में एक बुनियादी फर्क यह है कि सरकारी अस्पताल में मौत सस्ते में मिल जाती है. निजी अस्पताल वाले बहुत रकम खींच कर मौत का सर्टिफिकेट बनाते हैं. वैसे भी निजी अस्पताल में भर्ती होने के लिए रकम हर कोई नहीं जुटा सकता. इतने पैसे कहां से आयें, यह एक आर्थिक सवाल है. इसे स्वास्थ्य के सवाल से जोड़कर नहीं देखना चाहिए.
सरकार अस्पताल न फिट रख सकती. सरकार बाढ़ से निबटने का जुगाड़ न कर सकती. सरकार सरकारी स्कूल फिट नहीं रख सकती. ऐसे में सब कुछ सरकार को ही करना है तो फिर सरकार होती ही क्यों है.
इस सवाल का जवाब हमें कर्नाटक से लेना चाहिए. सरकार बनती इसलिए है कि वह बनी रहे. बने रहना ही बहुत बड़ा या और एकमात्र लक्ष्य होता है. मुंबई में बरसों से उन्हीं दलों की सरकार और सड़कों के गड्ढे भी बने रहते हैं. बनने-बनाने में सरकार की बहुत दिलचस्पी है. विधानसभा चुनावों के बहुत पहले ही महाराष्ट्र के वर्तमान मुख्यमंत्री ने घोषणा कर दी है कि वही अगले मुख्यमंत्री बनेंगे. यद्यपि उनकी सहयोगी पार्टी अपने बंदे को मुख्यमंत्री बनाना चाहती है.
मुंबई की सड़कों को गड्ढा मुक्त बनाने में किसी की दिलचस्पी नहीं है. तो फिर सरकार होती क्यों है?
यह बात पहले ही बतायी जा चुकी है कि सरकार बनती ही इसलिए कि वह बनी रह सके. बाकी का काम करना जनता की ही ड्यूटी है. लोकतंत्र के बुनियादी सिद्धांत सबको समझ लेने चाहिए. सरकार का काम बने रहना है. बाकी जो भी बनाना है, उसे बनाना जनता की ड्यूटी है.

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