सुरक्षित होंगीं सड़कें
सड़क दुर्घटनाओं और हताहतों की संख्या के हिसाब से भारत दुनिया में पहले पायदान पर है. उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, 2015 में हुईं पांच लाख से अधिक दुर्घटनाओं में 1.46 लाख लोग मारे गये थे और घायलों की संख्या पांच लाख रही थी. साल 2006 से 2015 के बीच हताहतों की तादाद में 54 फीसदी […]
सड़क दुर्घटनाओं और हताहतों की संख्या के हिसाब से भारत दुनिया में पहले पायदान पर है. उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, 2015 में हुईं पांच लाख से अधिक दुर्घटनाओं में 1.46 लाख लोग मारे गये थे और घायलों की संख्या पांच लाख रही थी.
साल 2006 से 2015 के बीच हताहतों की तादाद में 54 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी. इस अवधि में और इसके बाद देशभर में सड़क नेटवर्क का व्यापक विस्तार हुआ है तथा वाहनों की संख्या तेजी से बढ़ी है. ऐसे में सड़कों को सुरक्षित बनाने में मौजूदा वाहन अधिनियम के प्रावधान कमतर साबित हो रहे थे और उनमें बदलाव की जरूरत महसूस की जा रही थी. संसद के दोनों सदनों से मोटर वाहन संशोधन विधेयक के पारित होने से इस जरूरत के काफी हद तक पूरा होने की उम्मीद है. गंभीर रूप से घायलों को अगर पहले घंटे में उपचार मिले, तो जान बचने की संभावना बढ़ जाती है.
संशोधन विधेयक में इस दौरान पीड़ित को कैशलेस उपचार देने का प्रावधान किया गया है. दुर्घटनाओं का एक बड़ा कारण यातायात नियमों का उल्लंघन और शराब पीकर गाड़ी चलाना है. मौजूदा कानून में इस संबंध में दंड की व्यवस्था है, पर संशोधन में उन्हें कठोर बनाया गया है. इससे वाहन चालकों को अनुशासित करने में सहायता मिलेगी. चालक लाइसेंस की प्रक्रिया को भी चुस्त किया गया है.
फर्जी लाइसेंस बनाने और दोषी चालकों द्वारा किसी अन्य राज्य में वाहन चलाने जैसी समस्याओं के समाधान के लिए राष्ट्रीय स्तर पर लाइसेंसधारकों का एक डेटाबेस बनाने का प्रस्ताव भी सराहनीय है. वाहन निर्माताओं द्वारा निर्धारित मानदंडों का ठीक से पालन नहीं करने की वजह से भी दुर्घटनाएं होती हैं.
इस कानून के लागू होने के बाद ऐसे वाहनों को बाजार से वापस लेने और खरीदारों का पैसा लौटाने या गड़बड़ी को ठीक करने का आदेश सरकार दे सकेगी. इसके साथ ही दुर्घटना के पीड़ितों के मुआवजे की रकम को भी बढ़ाया गया है तथा सड़कों का इस्तेमाल करनेवाले हर व्यक्ति के लिए बीमा का निर्धारण भी किया गया है. सिर्फ बेहतर कानून बनाकर हादसों पर अंकुश नहीं लगाया जा सकता है, क्योंकि हर दुर्घटना चालकों की गलती से नहीं होती है. सड़कों की समुचित मरम्मत और दुर्घटना-प्रभावित जगहों को ठीक करना जरूरी है.
सड़क बनाने में इंजीनियरिंग की खामियों को भी जानकारों द्वारा लगातार रेखांकित किया जाता रहा है. सरकार ने इन पहलुओं का संज्ञान लिया है. सड़क यातायात एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के अनुसार, सरकार ने 786 खतरनाक जगहों को चिन्हित कर उन्हें ठीक करने के लिए 14.5 हजार करोड़ रुपये का आवंटन किया है.
बेहतर निर्माण को सुनिश्चित करने के लिए खराब सड़कें बनानेवाली कंपनियों को दंडित करने का प्रावधान भी संशोधन विधेयक में रखा गया है. इससे भ्रष्टाचार और लापरवाही पर लगाम लगने की अपेक्षा है. उम्मीद है कि सड़कों को सुरक्षित करने के लिए इस विधेयक को ठीक से लागू किया जायेगा और सभी संबद्ध पक्ष इनका पालन करेंगे.