तृतीय विश्व युद्ध की तैयारी!
मलेशियाई विमान एमएच 17 से अपने गंतव्य को जाते निदरेष यात्रियों पर हमला जितना खेदजनक है, उतना ही चिंताजनक भी. कई जगहों पर यह चर्चा हो रही है कि कुछ ही समय में मलयेशिया के दो विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गये. लेकिन यहां याद रखना होगा कि इन दोनों दुर्घटनाओं में काफी फर्क है. कुछ माह […]
मलेशियाई विमान एमएच 17 से अपने गंतव्य को जाते निदरेष यात्रियों पर हमला जितना खेदजनक है, उतना ही चिंताजनक भी. कई जगहों पर यह चर्चा हो रही है कि कुछ ही समय में मलयेशिया के दो विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गये.
लेकिन यहां याद रखना होगा कि इन दोनों दुर्घटनाओं में काफी फर्क है. कुछ माह पूर्व मलेशिया का विमान लापता हो गया और यह रहस्य अब तक बरकरार है कि उसे जमीन खा गई या आसमान निकल गया. उसे किसी ने मार गिराया या अपहरण कर लिया गया या वह समुद्र की अतल गहराइयों में खो गया है, क्या हुआ उसके साथ किसी को नहीं मालूम और यह भी नहीं पता कि कभी उसकी कोई खबर मिलेगी या नहीं.
दूसरी ओर अभी जो दुर्घटना हुई है, उसमें न कोई तकनीकी खामी जिम्मेदार है, न पायलट दल की कोई लापरवाही या गलती है. बल्कि इसे दुर्घटना भी नहीं कहना चाहिए क्योंकि अपनी निर्धारित ऊंचाई और रास्ते पर उड़ते इस विमान को मिसाइल से मार कर गिरा दिया गया.
अब तक जमीन पर आतंकवाद के पैर पसरे हुए थे और अब इसने आकाश में अपने पंख फैलाने शुरू कर दिये हैं. यूक्रे न की पूर्वी सीमा पर हुए इस हमले के पीछे किसका हाथ है, यह अब अंतरराष्ट्रीय जांच का विषय है. लेकिन जिस तरीके से इस पर राजनीति, आरोप-प्रत्यारोप प्रारंभ हो गये हैं, उससे स्पष्ट होता है कि इस जांच को निष्पक्ष और स्वतंत्र रखना कठिन होगा.
अमेरिका सहित कई पश्चिमी देशों ने इस हमले को रूस समर्थित यूक्रेनी विद्रोहियों की रूसी मदद से हासिल हथियारों के जरिये की गयी कार्रवाई बताया है. हालांकि इस पर कोई ठोस तर्क अब तक नहीं दिया गया है. घोषित तौर पर तृतीय विश्वयुद्ध शुरू तो नहीं हुआ है, लेकिन विश्व में ध्रुवीकरण की जो कोशिश जारी है, वह विश्वयुद्ध से कम खतरनाक नहीं है.
अनिल सक्सेना, जमशेदपुर