अर्थव्यवस्था की चुनौतियां

एक साल में चौथी बार आरबीआइ द्वारा रेपो दर में कटौती की गयी है. इस बार तो 0.35 फीसद. हर बार से ज्यादा. कुल कटौती सालभर में 1.10 फीसद का हो गयी. गवर्नर शक्ति कांत दास की बातों से यही पता चलता है कि भारत पर इस समय जो मंदी के घने और काले बादल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 12, 2019 1:07 AM

एक साल में चौथी बार आरबीआइ द्वारा रेपो दर में कटौती की गयी है. इस बार तो 0.35 फीसद. हर बार से ज्यादा. कुल कटौती सालभर में 1.10 फीसद का हो गयी. गवर्नर शक्ति कांत दास की बातों से यही पता चलता है कि भारत पर इस समय जो मंदी के घने और काले बादल छाये हुए हैं, इसे वे ढांचागत नहीं, बल्कि चक्रीय मंदी मानते है.

चूंकि दास जी एक आइएएस अधिकारी हैं, इसलिए बातों को कूटनीतिक अंदाज में कहने में उन्हें महारत हासिल है, मगर इस समय देश की अर्थव्यवस्था की हालत बेहद चिंतनीय है. बाजार में मांग नहीं है. पूंजी निवेश नहीं हो रहा है. नौकरियां हैं नहीं.

कल कारखाने बंद हो रहे हैं. बेरोजगारी चरम पर है. इस वित्तीय वर्ष का जीडीपी आकलन को 7 से कम करके 6.9 फीसद रहेगा. इसका मतलब पांच खरब डॉलर वाली अर्थव्यवस्था का जो संकल्प लिया गया था, वह हकीकत में नहीं बदलने वाला. फ्रांस को पछाड़ कर हम विश्व की छठी अर्थव्यवस्था बन गये थे. फ्रांस से फिर हम पिछड़ गये हैं.
जंग बहादुर सिंह, गोलपहाड़ी, जमशेदपुर

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