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इस बार का स्वतंत्रता दिवस खास

सुरेश कांत वरिष्ठ व्यंग्यकार drsureshkant@gmail.com इस बार का स्वतंत्रता दिवस कुछ खास है. सरकार ने सत्तर वर्षों से लागू अनुच्छेद 370, जिसे लोगों को अनुच्छेद के बजाय धारा कहना ज्यादा पसंद है और इसलिए हम भी उसे धारा 370 ही कहेंगे, हटा दी है और विरोधी दल नहीं समझ पा रहे कि करें तो क्या […]

सुरेश कांत

वरिष्ठ व्यंग्यकार
drsureshkant@gmail.com
इस बार का स्वतंत्रता दिवस कुछ खास है. सरकार ने सत्तर वर्षों से लागू अनुच्छेद 370, जिसे लोगों को अनुच्छेद के बजाय धारा कहना ज्यादा पसंद है और इसलिए हम भी उसे धारा 370 ही कहेंगे, हटा दी है और विरोधी दल नहीं समझ पा रहे कि करें तो क्या करें? यह तब है, जब सत्ताधारी दल ने चुनाव में जनता से वादा कर रखा था कि हम इसे हटायेंगे. विरोधियों को लगता होगा कि यह भी बाकी वादों की तरह होगा, सो वे निश्चिंत रहे.
पर उन्होंने इस वादे को पूरा कर डाला, और ज्यादातर को उस धारा के खत्म हो चुकने के बाद ही खबर हुई. और कोई चीज खत्म हो चुकने के बाद फिर करने के लिए रह ही क्या जाता है?
जब भी पुराने राज्य तोड़कर नये राज्य बनाये जाते हैं, मुझे पंजाब से अलग होकर हरियाणा के बनने पर रिवाड़ी की एक दादी की प्रतिक्रिया याद आ जाती है. जब उसके पोते ने उसे खबर दी कि दादी, रिवाड़ी अब पंजाब में न रहकर हरियाणा में आ गया है, तो उसने कहा, अच्छा होया बेटे, मनै वहां ठंड भी ज्यादा लगै थी!
दादी को नये राज्य में ठंड लगनी बंद हुई या नहीं, यह तो पता नहीं चला, पर जम्मू-कश्मीर के दो हिस्सों में बंटने और दोनों के संघशासित प्रदेश बनने से बहुतों को गर्मी चढ़नी शुरू हो गई है. संयोग से यह गर्मी भी सबसे ज्यादा हरियाणा में ही चढ़ती देखी गयी है.
वहां के मुख्यमंत्री ने अपने यहां के छोरों को कश्मीरी छोरियों से ब्याह का सपना दिखा दिया है. और हरियाणा ही क्या, देश के बाकी हिस्सों में भी कुंआरों ने ही नहीं, शादीशुदा मर्दों ने अपनी ऐसी ही पवित्र भावनाएं व्यक्त करनी शुरू कर दीं. मानो एक इसी काम के लिए धारा 370 हटायी गयी हो.
दिल्ली जैसे राज्यों में भी, जहां कि जल्दी ही चुनाव होनेवाले हैं और फिलहाल किसी विपक्षी दल की सरकार है, सत्ताधारी दलों के हाथ-पैर फूले हुए हैं. मानो उनका सारा किया-धरा इस धारा 370 के खत्म होने ने खत्म कर दिया हो. उन्हें लगता है कि यह उन्हें हराने के लिए ही हटायी गयी है. पिछले दिनों दिल्ली से एक मित्र मिलने आये, तो मैंने पूछा, आगामी चुनाव में दिल्ली में कौन जीत रहा है? उसने छूटते ही कहा कि धारा 370!
विदेशों तक में इससे हड़कंप मचा है. एक-दो दिन पहले तक अपने को कश्मीर पर मध्यस्थता करने के लिए तैयार बतानेवाले अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप अब अगर यह सोच रहे हों, तो कोई ताज्जुब नहीं कि केवल उन्हें मध्यस्थता से रोकने के लिए भारत ने इतना बड़ा कदम उठा लिया? और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का हाल तो शायर के शब्दों में कुछ ऐसा है कि- इरादे बांधता हूं, सोचता हूं, तोड़ देता हूं; कहीं ऐसा न हो जाये, कहीं वैसा न हो जाये!
सरकार के इतने धांसू कदम पर मुग्ध होते हुए हम सब देशवासियों को बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, बलात्कार जैसे नकली मुद्दों को भूलकर सरकार के हाथ मजबूत करने के लिए एकजुट हो जाना चाहिए. स्वतंत्रता दिवस की बधाई!

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