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अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री नजमा हेपतुल्ला जी ने फरमाया है- मोदी सरकार के प्रति मुसलमानों का विश्वास बढ़ रहा है. हालांकि अपने इस बयान के समर्थन में उन्होंने कोई नजीर पेश नहीं की है. पर नजीर तो उन्हें खोजनी पड़ती है जिनकी बातों पर लोगों को शक -शुब्हा हो. लेकिन, कुछ लोग शक करना कभी […]

अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री नजमा हेपतुल्ला जी ने फरमाया है- मोदी सरकार के प्रति मुसलमानों का विश्वास बढ़ रहा है. हालांकि अपने इस बयान के समर्थन में उन्होंने कोई नजीर पेश नहीं की है. पर नजीर तो उन्हें खोजनी पड़ती है जिनकी बातों पर लोगों को शक -शुब्हा हो. लेकिन, कुछ लोग शक करना कभी नहीं छोड़ते और ऐसे लोगों का इलाज तो हकीम लुकमान के पास भी नहीं था. कुछ ऐसे ही प्राणी हैं हमारे रहीम चाचा.

वह पूछते हैं, ‘‘मोदी जी के पद संभालते ही पुणो में हिंदू राष्ट्र सेना ने नौजवान इंजीनियर मोहसिन शेख की हत्या कर दी और वह इस पर चुप रहे, क्या यह घटना मोदी सरकार के प्रति मुसलमानों का विश्वास बढ़ानेवाली है? मोदी जी ने अपने भाषणों में कहा था कि वह मुसलिम युवाओं के एक हाथ में कंप्यूटर और दूसरे हाथ में कुरआन देखना चाहते हैं. मोहसिन तो बिल्कुल ऐसा ही थी, फिर वह क्यों मारा गया?’’ रहीम चाचा का शक दूर करने की कोशिश की हमारे श्रीराम चाचा ने, ‘‘मोदी जी को इसमें कसूरवार ठहराना ठीक नहीं. अभी वह हृदय-परिवर्तन अभियान चलवा रहे हैं. देखा नहीं, दुश्मनों से भी कितने प्यार से पेश आ रहे हैं. हाफिज सईद के लिए बड़े अदब से वैदिक जी को भेजा.. और फिर श्रीराम सेना, हिंदू राष्ट्र सेना, शिव सेना वगैरह वाले तो उनके घर के लोग हैं.

अब घर के लोगों से कभी-कभी गलती हो जाती है, तो क्या उन्हें कोई सूली पर टांग देता है. अरे भाई, उन्हें समझा-बुझा कर सुधारा जाता है.’’ रहीम चाचा ने फिर सवाल किया, ‘‘मोदी जी ने फिलीस्तीन के मसले पर संसद में इस्नइल के खिलाफ निंदा प्रस्ताव क्यों नहीं पारित होने दिया?’’ श्रीराम चाचा ने कहा, ‘‘देखिए इसे अल्पसंख्यकों से जोड़ना ठीक नहीं. यह तो दो देशों के बीच का मसला है, यानी अंतरराष्ट्रीय. इसलिए मोदी सरकार ने राष्ट्रीय मंच पर निंदा प्रस्ताव का विरोध किया और अंतरराष्ट्रीय मंच पर (संयुक्त राष्ट्र में) इस्नइल के खिलाफ वोट दिया.

भाई, जैसा गांव वैसा गीत.’’ रहीम चाचा अब भी नजमा हेपतुल्ला से सहमत होने को तैयार नहीं हैं. उन्होंने जिरह की, ‘‘बरसों से प्रधानमंत्री आवास पर इफ्तार पार्टी का आयोजन होता आ रहा है, तो इस बार क्यों नहीं हुआ?’’ श्रीराम चाचा ने मजा लेते हुए, ‘‘तो इसमें कौन सा पहाड़ टूट पड़ा? तुम्हें कौन वहां बुलाया जाना था कि अफसोस में दुबले हुए जा रहे हो. भाई, तुम तो जानते हो कि मोदी जी को टोपी पहनना पसंद नहीं. लोग इफ्तार में आते हैं और टोपी पहनाने लगते हैं, वह भी मुसलमानी. जिन्हें टोपी पहनने और पहनाने का इतना शौक है, वे तुष्टीकरण की राजनीति करनेवाले नेताओं की इफ्तार पार्टी में जा सकते हैं.’’ रहीम चाचा ने एक और सवाल दागा, ‘‘सहयोगी पार्टी के सांसदों ने एक रोजेदार के मुंह में रोटी ठूंस दी, इस पर मोदी जी चुप क्यों हैं?’’ श्रीराम चाचा को इस सवाल का कोई जवाब नहीं सूझा.

जावेद इस्लाम

प्रभात खबर, रांची

javedislam361@gmail.com

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