जलते जंगलों की त्रासदी
ब्राजील में अमेजन के जंगल तीन सप्ताह से भयावह आग की चपेट में हैं. इस आग की विपदा आने के बाद देश के राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो ने बयान दिया था कि उनके पास इस आग को रोकने की क्षमता नहीं है. लेकिन जब यूरोप के कुछ देशों ने सहायता भेजते हुए जलते जंगलों पर चिंता […]
ब्राजील में अमेजन के जंगल तीन सप्ताह से भयावह आग की चपेट में हैं. इस आग की विपदा आने के बाद देश के राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो ने बयान दिया था कि उनके पास इस आग को रोकने की क्षमता नहीं है.
लेकिन जब यूरोप के कुछ देशों ने सहायता भेजते हुए जलते जंगलों पर चिंता जतायी, तो ब्राजीली राष्ट्रपति ने इसे देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप कह दिया. अमेजन के वन दुनिया के सबसे बड़े उष्णकटिबंधीय जंगल हैं और धरती के ऑक्सीजन का 20 प्रतिशत इन्हीं से आता है.
इन जंगलों में जैव-विविधता की सघनता भी सर्वाधिक है. विश्व की सबसे बड़ी नदी से सिंचित ये वन 140 अरब मीट्रिक टन कार्बन को भी अवशोषित करते हैं. ऐसे में क्या 55 करोड़ हेक्टेयर में बसे अमेजन की आग को ब्राजील का आंतरिक मसला मान कर शेष विश्व को चुप रहकर इस तबाही को देखते रहना चाहिए? पिछले साल की तुलना में इस वर्ष अभी तक इस क्षेत्र में आग लगने की घटनाओं में 84 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.
यदि अमेजन इसी तरह नष्ट होता रहा, जलवायु परिवर्तन और वैश्विक तापमान बढ़ने की चुनौतियों का सामना कर रही मनुष्य जाति के अस्तित्व पर ही प्रश्नचिह्न लग जायेगा. उल्लेखनीय है कि आग लगने की घटना अनेक जंगलों की पारिस्थितिकी का अंग होती है, परंतु अमेजन के संदर्भ में ऐसा नहीं है.
वहां आग का लगभग हर कारण मानवीय गतिविधियों से जुड़ा हुआ है. अमेजन के जंगलों में तीन करोड़ लोग रहते हैं, जिनमें अधिकतर आदिवासी समुदायों से हैं. इन्हें विस्थापित कर खेती एवं खनन के लिए वन काटने और जलाने की वैध व अवैध कोशिशें लगातार होती रहती हैं.
बोलसोनारो तो अपने चुनावी वादों में पर्यावरण संरक्षण और आदिवासियों के अधिकार को खारिज कर अमेजन के व्यावसायिक इस्तेमाल की बात कर चुके हैं. राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने पर्यावरण संरक्षण की राष्ट्रीय एजेंसी के बजट में 95 प्रतिशत की कटौती भी कर दी है. इस वजह से आग पर काबू पाने में भी अड़चनें आ रही हैं, क्योंकि समुचित धन व संसाधन उपलब्ध नहीं हैं. जंगली आग से मौजूदा वक्त में अमेजन के अलावा स्पेन का कैनेरी द्वीप, अमेरिका का अलास्का, ग्रीनलैंड, रूस में साइबेरिया, बोलीवियाई वन भी जल रहे हैं.
हमारे देश में गर्मियों में उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में जंगली आग की कई घटनाएं हुई थीं. पिछला महीना यूरोप के लिए इतिहास का सबसे गर्म जुलाई साबित हुआ है. आर्कटिक वृत्त के उत्तरी हिस्से में इस साल सौ से अधिक जंगली आग की घटनाएं हुई हैं. जलवायु परिवर्तन के गंभीर होने के साथ मौसम का स्वभाव भी बदलता जायेगा तथा गर्मी व सूखे की अवधि बढ़ती जायेगी.
ऐसे में पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहभागिता से आगे ले जाना जरूरी है. प्रकृति के असंतुलित दोहन का दुष्परिणाम समूची मानवता को भुगतना पड़ रहा है. ऐसे में अमेजन और अन्यत्र जंगलों में लगी आग सभी देशों के लिए चिंता का कारण होनी चाहिए.