आरबीआइ की आकस्मिक निधि

जब अभिभावक को अपने बच्चों द्वारा जमा किये गये पैसों वाला गुल्लक तोड़ना पड़े, तो समझिए उस घर की माली हालत ठीक नहीं है. ठीक यही परछाईं केंद्र सरकार की दिख रही है. पिछले वित्तीय वर्ष और इस वित्तीय वर्ष में अब तक आरबीआइ से कुल एक लाख 76 हजार 51 करोड़ रुपये सरकार को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 28, 2019 12:29 AM

जब अभिभावक को अपने बच्चों द्वारा जमा किये गये पैसों वाला गुल्लक तोड़ना पड़े, तो समझिए उस घर की माली हालत ठीक नहीं है. ठीक यही परछाईं केंद्र सरकार की दिख रही है. पिछले वित्तीय वर्ष और इस वित्तीय वर्ष में अब तक आरबीआइ से कुल एक लाख 76 हजार 51 करोड़ रुपये सरकार को लेने पड़े.

ऐसा अपने वित्तीय घाटे को पाटने के लिए किया गया है. इसे सीधे बेल आउट पैकेज माना जा सकता है. भले ही बिमल जालान समिति के प्रतिवेदन की आड़ में ऐसा किया गया. आज तक इस देश में जो नहीं हुआ, वह अब हो रहा है.
आरबीआइ की आकस्मिक निधि में प्रतिवर्ष लाखों करोड़ रुपये जमा के रूप में रखे जाते हैं, ताकि आपातकालीन जरूरत में उसका इस्तेमाल देश के लिए किया जा सके, मगर अभी तो वैसा कुछ है नहीं. पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल को सरकार के दबाव में ही इस्तीफा देना पड़ा था. इन सब बातों से यह तो स्पष्ट है कि देश की माली हालत फिलहाल ठीक नहीं है.
जंग बहादुर सिंह, गोलपहाड़ी, जमशेदपुर

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