अक्षय ऊर्जा पर देना होगा जोर

अक्षय एवं नवीनीकृत ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने के वैश्विक संकल्पों के इतर सरकार अब भी कोयले पर ही दावं खेल रही हैं. ग्लोबल वार्मिंग और कार्बन उत्सर्जन का सबसे बड़ा कारण कोयला होने के बावजूद, केंद्र सरकार ने बजट 2019-20 में अक्षय ऊर्जा को 12353 करोड़ रुपया जबकि कोयला मंत्रालय को 20121 करोड़ रुपये […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 29, 2019 6:40 AM
अक्षय एवं नवीनीकृत ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने के वैश्विक संकल्पों के इतर सरकार अब भी कोयले पर ही दावं खेल रही हैं. ग्लोबल वार्मिंग और कार्बन उत्सर्जन का सबसे बड़ा कारण कोयला होने के बावजूद, केंद्र सरकार ने बजट 2019-20 में अक्षय ऊर्जा को 12353 करोड़ रुपया जबकि कोयला मंत्रालय को 20121 करोड़ रुपये आवंटित किये हैं, जो 63% अधिक है.
जहां एक ओर संयुक्त राज्य की जलवायु संबंधी समिति ने वर्ष 2030 तक कार्बन उत्सर्जन में 35% कमी, अक्षय ऊर्जा में 40% बढ़ोतरी का लक्ष्य रखा है, लेकिन सरकार की मौजूदा नीतियों को देखते हुए यह लक्ष्य नामुमकिन सा लग रहा है क्योंकि वर्ष 2018 से अक्षय ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना में लगातार गिरावट आ रही है.
अतः सरकार से उम्मीद है कि वह सोलर मॉडल्स पर आयात शुल्क कम करे, कर की दर कम करे, जीएसटी से विशेष राहत दे साथ ही अक्षय ऊर्जा बजट को बढ़ा दे ताकि भारत भी वैश्विक जिम्मेदारियों पर खरा उतर सके.
कपिल एम वड़ियार, पाली, राजस्थान

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