चाक से चौपाल तक फिर नजर आयेंगे कुल्हड़

देश की मिट्टी से बनी कुल्हड़ सामाजिक जीवन की धरोहर है. चाय की खुशबू और जायका ढूंढते लोगों के लिए कुल्हड़ वाली महक एक अलग एहसास देती है. विलुप्त होते इस बेमिसाल विरासत की खातिर लालू यादव के रेल मंत्रालय ने चाय के बहाने कुल्हड़ को वापस लाने का प्रयास किया था. अफसोस है कि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 30, 2019 7:50 AM

देश की मिट्टी से बनी कुल्हड़ सामाजिक जीवन की धरोहर है. चाय की खुशबू और जायका ढूंढते लोगों के लिए कुल्हड़ वाली महक एक अलग एहसास देती है. विलुप्त होते इस बेमिसाल विरासत की खातिर लालू यादव के रेल मंत्रालय ने चाय के बहाने कुल्हड़ को वापस लाने का प्रयास किया था.

अफसोस है कि रेलमंत्री के करियर के साथ कुल्हड़ अपने चाक की तरफ लौट गयी. बेशक कुछ लोगों ने आधुनिक फैशन का हिस्सा बनाने की छोटी कोशिश की है. मगर मरणासन्न कुल्हड़ उद्योग में जान फूंकने की यह कोशिश नाकाफी साबित हुई है. हाल ही में केंद्रीय मंत्री गडकरी ने रेल मंत्रालय को पत्र लिख कर रेल, एयरपोर्ट, बस अड्डे व मॉल जैसे सार्वजनिक जगहों पर कुल्हड़ वाली चाय अनिवार्य करने की राय दी है.

एमके मिश्रा, त्वदीयं, मां आनंदमयीनागर, रातू (रांची)

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