बिहार में भी स्थानीयता को प्राथमिकता दे सरकार
झारखंड एवं मध्य प्रदेश समेत देश के लगभग 16 राज्यों में बिहारी छात्रों को नौकरियां मिलना अब मुमकिन नहीं है, क्योंकि इन राज्यों में स्थानीय अभ्यर्थियों के लिए 70 से 100% आरक्षण लागू कर दिया गया है. एक तो बिहार आर्थिक दृष्टि से पिछड़ा राज्य माना जाता है व विगत वर्षों से विशेष राज्य की […]
झारखंड एवं मध्य प्रदेश समेत देश के लगभग 16 राज्यों में बिहारी छात्रों को नौकरियां मिलना अब मुमकिन नहीं है, क्योंकि इन राज्यों में स्थानीय अभ्यर्थियों के लिए 70 से 100% आरक्षण लागू कर दिया गया है. एक तो बिहार आर्थिक दृष्टि से पिछड़ा राज्य माना जाता है व विगत वर्षों से विशेष राज्य की दर्जा की मांग भी होती रही है, किंतु यहां की सरकार स्थानीयता को तरजीह नहीं देती है.
हाल ही में बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित असिस्टेंट प्रोफेसर की बहाली में अन्य राज्यों के 70 से 80 प्रतिशत अभ्यर्थी राज्य के कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों में नियुक्त हो चुके हैं. वजह स्थानीयता को आरक्षण नहीं मिलना है. फलस्वरूप यहां के नेट व डॉक्टरेट उत्तीर्ण अभ्यर्थी बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं. अतः बिहार सरकार भी अन्य राज्यों की भांति डेमोसाइल नीति लागू करे.
डॉ अखिलेश कुमार, गौरक्षणी (सासाराम)