झारखंड सरकार की दूरदर्शिता की कमी के कारण इसके सारे काम सवालों के घेरे में आते जा रहे हैं. चाहे वह शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया हो या विकास की कोई भी अन्य योजना.कक्षा एक से लेकर पांच तक शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया बड़ी मुश्किल से एक साल देर से शुरू हो पायी. विज्ञापन निकालने से पहले उसे संशोधित करना जरूरी समझा जाता है, लेकिन प्रक्रिया अंतिम चरण में पहुंचने के बाद सरकार की नींद खुलती है.
इसे दूरदर्शिता की कमी नहीं कहेंगे तो और क्या? शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव को पहले से यह सब सोचना चाहिए था. ऐसे में शिक्षक बनने की आस लगाये बैठे अभ्यर्थियों को कहीं निराशा हाथ न लगे. अत: माननीय मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से अनुरोध है कि अविलंब इसका कोई समाधान निकालें और नियुक्ति प्रक्रिया को तुरंत संपन्न करायें, क्योंकि चुनाव सिर पर हैं.
राजीव लोचन राठौर, पश्चिमी सिंहभूम