देश की प्रतिष्ठित परीक्षाओं में से एक सिविल सर्विस की प्रिलिम्स की सीसैट परीक्षा को लेकर इन दिनों भारी विरोध मचा हुआ है. हिंदी भाषी छात्र इस प्रश्नपत्र के सिलेबस के सुधार की मांग कर रहे हैं.
इस मामले को सिर्फ भाषायी आधार पर भेदभाव कहना क्या ठीक है? यह तो हम हिंदी भाषियों के कमजोर पक्ष को इंगित करता है. इसमें कोई दो मत नहीं है कि सीसैट की परीक्षा में उन लोगों को लाभ होता है जिन्हें किसी कार्यक्षेत्र का अनुभव हो, जबकि स्नातक स्तर के अभ्यर्थी को कार्य क्षेत्र का अनुभव नहीं होता.
इस भाग में पूछे जानेवाले ज्यादातर प्रश्न निर्णय की क्षमता की जांच करते हैं. इसमें कार्यक्षेत्र का अनुभव काम आता है और स्नातक स्तरीय विद्यार्थी पिछड़ते हैं. लेकिन अगर एक स्नातक स्तरीय अभ्यर्थी यह कहे कि अंगरेजी में उसे असुविधा होती है तो यह उसकी अक्षमता को प्रदर्शित करता है.
तन्मय बनर्जी, गम्हरिया, सरायकेला