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अंधविश्वास से कब छूटेगा पीछा ?

आज के युग में मेडिकल साइंस की इतनी प्रगति के बावजूद हम पुराने खयालात और तंत्र-मंत्र पर विश्वास कर रहे हैं. इसका ताजा उदाहरण पिछले दिनों अखबार में छपी एक खबर है.इसमें एक शव को चार दिनों तक पेड़ पर लटका कर उसे जिंदा करने की कोशिश अंधविश्वासी मानसिकता को दर्शाती है. साथ ही वहां […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 31, 2014 6:12 AM

आज के युग में मेडिकल साइंस की इतनी प्रगति के बावजूद हम पुराने खयालात और तंत्र-मंत्र पर विश्वास कर रहे हैं. इसका ताजा उदाहरण पिछले दिनों अखबार में छपी एक खबर है.इसमें एक शव को चार दिनों तक पेड़ पर लटका कर उसे जिंदा करने की कोशिश अंधविश्वासी मानसिकता को दर्शाती है. साथ ही वहां पांच हजार लोगों की भीड़ भी मूकदर्शक बन चमत्कार की आशा में कड़ी धूप में सुबह से खड़ी थी. आज दौर विज्ञान और तकनीक का है, फिर भी लोग जादू-टोने जैसे पुराने अंधविश्वास और आकस्मिक चमत्कार की उम्मीद रखते हैं.

हमें लोगों को जागरूक करना होगा, उनकी मानसिकता को बदलना होगा. तभी गांधी जी, नेहरू जी व स्वामी विवेकानंद का सपना पूरा हो सकता है. तभी भारत विश्वगुरु बन सकता है. वरना ऐसी घटनाओं से तो जगहंसाई ही होगी.

अमित कुमार, पांकी, पलामू

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