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मासूमों की जिंदगी अंधेरे में

मीडिया में आयी खबरों के अनुसार, देश में बच्‍चों के अपहरण और उनकी खरीद-बिक्री का धंधा जोरों पर है. मीडिया रिपोर्ट बताती हैं कि साल 2013 में 28 राज्यों से 21, 895 बच्‍चे लापता हैं.अगवा बच्‍चों का हुलिया बदल कर उन स्थानों पर ले जाया जाता है जहां की वे भाषा न जानते हों, ताकि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 31, 2014 6:13 AM

मीडिया में आयी खबरों के अनुसार, देश में बच्‍चों के अपहरण और उनकी खरीद-बिक्री का धंधा जोरों पर है. मीडिया रिपोर्ट बताती हैं कि साल 2013 में 28 राज्यों से 21, 895 बच्‍चे लापता हैं.अगवा बच्‍चों का हुलिया बदल कर उन स्थानों पर ले जाया जाता है जहां की वे भाषा न जानते हों, ताकि किसी को इनकी भाषा समझ में न आये. इन बच्‍चों से बाल मजदूरी करायी जाती है और कई बार तो भिखारी गिरोहवाले भीख भी मंगवाते हैं जहां हर दिन एक निश्चित रकम गिरोह के मुखिया को देनी पड़ती है. दिया गया काम अगर उन्होंने ठीक से नहीं किया तो उन्हें प्रताड़ित किया जाता है.

कई बार तो बच्‍चों को मारा-पीटा जाता है और खाना भी नहीं दिया जाता है. आखिर किस हद तक गिरेंगे ये लोग? क्या महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस और भगत सिंह ने इसी भविष्य के सपने देखे थे?

अभिषेक चंद्र उरांव, रांची

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