भारतीय समाज एवं सनातन धर्म में सदियों से साधु संत की इज्जत करने का रिवाज रहा है. साधु संत को ईश्वर के समकक्ष माना जाता है. दुर्भाग्य से पाखंडी लोग धर्म की आड़ में अधर्म का खेल खेलते हुए समाज एवं सनातन धर्म की छवि को खराब कर रहे हैं. नतीजतन कुछ तो जेल में सड़ रहे हैं.
ताजा उदाहरण में सांसद स्वामी चिन्मयानंद की मुश्किलें बढ़ गयी हैं. उन्हें नाबालिग लड़की के यौन शोषण के आरोप में सजा हो सकती है. दरअसल, कमजोर कानून का फायदा उठाते हुए और अधिकारियों की सांठगांठ से ऐसे अनेक तथाकथित बाबा हैं, जो सत्ता और भौतिक सुख का आनंद लेने में मग्न है, मगर नैतिकता और धार्मिक भावनाओं की उन्हें जरा भी चिंता नहीं है. ऐसे लोगों को हर हाल में सजा मिलनी ही चाहिए.
मिथिलेश कुमार पांडेय, केरेडारी, हजारीबाग