ब्रेक्जिट का पछतावा

ब्रिटिश सुप्रीम कोर्ट के आदेश से प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की कलई खुल गयी है. अब वे न तो घर के रहे न घाट के. अपनी राष्ट्रवादी राजनीति से उन्होंने महारानी एलिजाबेथ को भी कलंकित कर दिया है. एक अनपढ़ बच्चा भी यही कहेगा कि पांच हफ्तों के लिए संसद को स्थगित कराना, ब्रेक्सिट के मुश्किलात […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 27, 2019 7:16 AM
ब्रिटिश सुप्रीम कोर्ट के आदेश से प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की कलई खुल गयी है. अब वे न तो घर के रहे न घाट के. अपनी राष्ट्रवादी राजनीति से उन्होंने महारानी एलिजाबेथ को भी कलंकित कर दिया है.
एक अनपढ़ बच्चा भी यही कहेगा कि पांच हफ्तों के लिए संसद को स्थगित कराना, ब्रेक्सिट के मुश्किलात भरे बहसों से खुद को बचाना ही था. अब प्रश्न उठता है कि क्या ब्रिटेन इस समय संवैधानिक संकट में फंस गया है? नहीं, क्योकि वहां लिखित संविधान है ही नहीं.
इसलिए वह प्रधान मंत्री के गैरकानूनी कदम का दर्द झेल रहा है. जिन 52 फीसद अंग्रेजों ने ब्रेक्सिट के रायशुमारी में यूरोपियन यूनियन से अलग होने की हामी भरी थी, उन्हें शायद अपने फैसले पर पछतावा हो रहा होगा. अब तीन रास्ते दिख रहे हैं. इयू से और मोहलत मांग कर फिर से रायशुमारी कराई जाये या देश को मध्यावधि चुनाव में धकेला जाये.
जंग बहादुर सिंह, गोलपहाड़ी, जमशेदपुर

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