पुलिस व्यवस्था में सुधार हो

देश में आतंकवाद, उग्रवाद, धार्मिक कट्टरता और जातीय हिंसा के खतरे कायम हैं. इन चुनौतियां से निबटने के लिए पुलिस को निरंतर सतर्कता तथा सख्ती रखने की जरूरत है. देश में पुलिस कर्मियों की भारी कमी है. जनसंख्या और पुलिस का अनुपात प्रति एक लाख जनसंख्या पर 192 पुलिसकर्मी है, जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रस्तावित […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 27, 2019 7:16 AM
देश में आतंकवाद, उग्रवाद, धार्मिक कट्टरता और जातीय हिंसा के खतरे कायम हैं. इन चुनौतियां से निबटने के लिए पुलिस को निरंतर सतर्कता तथा सख्ती रखने की जरूरत है. देश में पुलिस कर्मियों की भारी कमी है.
जनसंख्या और पुलिस का अनुपात प्रति एक लाख जनसंख्या पर 192 पुलिसकर्मी है, जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रस्तावित स्तर प्रति एक लाख जनसंख्या पर 222 पुलिसकर्मी से कम है. इसका मतलब कि पुलिस बल पर काम का बोझ ज्यादा है, जो उसके लिए एक बड़ी चुनौती है.
आज भारत का पुलिस प्रशासन अंग्रेजों द्वारा बनाये गये 1861 के पुलिस एक्ट से क्रियान्वित है, जो क्रांतिकारियों पर नियंत्रण के लिए बनाया गया था. पुलिस बल पर निगरानी और नियंत्रण राजनीतिक सत्ताधारियों के पास है, जिससे वह निष्पक्षता से कम नहीं कर पाती. इसी वजह से पुलिस व्यवस्था में व्यापक सुधार की जरूरत है.
प्रशांत कुमार, पदमा, हजारीबाग

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