इतिहास पढ़ें इमरान

संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के विकास, पर्यावरण संरक्षण, विकासशील देशों की चुनौतियों और आतंक पर अंकुश लगाने के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रयासों पर जोर देकर राजनीतिक नेतृत्व का प्रभावी उदाहरण प्रस्तुत किया है. इस वैश्विक मंच पर जब सदस्य देशों के प्रमुख उपस्थित होते हैं, तो उनसे अपेक्षा होती है कि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 30, 2019 7:15 AM

संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के विकास, पर्यावरण संरक्षण, विकासशील देशों की चुनौतियों और आतंक पर अंकुश लगाने के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रयासों पर जोर देकर राजनीतिक नेतृत्व का प्रभावी उदाहरण प्रस्तुत किया है. इस वैश्विक मंच पर जब सदस्य देशों के प्रमुख उपस्थित होते हैं, तो उनसे अपेक्षा होती है कि वे बेहतर दुनिया बनाने का लक्ष्य हासिल करने में सकारात्मक योगदान दें.

यदि कोई देश किसी अन्य देश या देशों के समूह की शिकायत या आलोचना करता है, उससे यह उम्मीद भी होती है कि वह ठोस तर्कों, सबूतों और कूटनीतिक मानकों के आधार पर ही ऐसा करे, लेकिन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान करीब घंटे पर दिशाहीन भाषण करते रहे. उन्होंने पश्चिमी देशों की आलोचना करने और इस्लामी दुनिया पर निशाना साधने के क्रम‌ में पाकिस्तान के पूर्ववर्ती सरकारों को भी नहीं छोड़ा. स्वाभाविक रूप से उनके भाषण का बहुत बड़ा हिस्सा भारत को भला-बुरा कहने और परमाणु युद्ध की धमकी देने में जाया हुआ.

इसमें वही सब बातें दुहरायी गयीं, जो जम्मू-कश्मीर की प्रशासनिक संरचना में भारत द्वारा किये गये बदलाव के बाद से पाकिस्तान कहता रहा है. अंतर केवल इतना था कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के तेवर में बौखलाहट बहुत अधिक थी. यह स्वाभाविक भी है. अगस्त से पाकिस्तान कश्मीर के मुद्दे को धार्मिक पहचान देकर इस्लामी देशों का समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन सभी अहम मुस्लिम देशों ने भारत का ही साथ दिया है.

उसने पश्चिमी देशों से मानवाधिकार के बहाने गुहार लगा कर कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवादित बनाने का प्रयास किया, लेकिन वहां भी असफलता ही हाथ लगी. प्रधानमंत्री मोदी की छवि और भारतीय कूटनीति के कारण जब पाकिस्तान अलग-थलग पड़ता जा रहा है, तो वह परमाणु युद्ध का हवाला देकर विश्व जनमत को ब्लैकमेल करने की कोशिश कर रहा है.

कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद का सहारा लेकर भारत को अस्थिर करने की उसकी नीति से पूरी दुनिया परिचित हो चुकी है. इतना ही नहीं, अफगानिस्तान समेत दक्षिणी एशिया में और अन्य क्षेत्रों में कट्टरपंथी व हिंसक तत्वों को बढ़ावा देने में उसकी भूमिका भी सबके सामने है. स्वयं इमरान खान यह कह चुके हैं कि पाकिस्तानी सरकारों और सेना की शह से दशकों तक उनका देश आतंकवाद की शरणस्थली बना हुआ है.

पाकिस्तान की समस्याओं का समाधान करने का वादा कर सत्ता में आये इमरान खान कश्मीर का राग अलाप कर अपनी सरकार की विफलताओं तथा पाकिस्तान में अनेक समुदायों पर हो रहे दमन पर परदा डालने की नाकाम कोशिश कर रहे हैं. पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर में उनके खिलाफ आवाजें तेज हो रही हैं, बलोचिस्तान अशांत है, आतंकी गिरोह निर्दोष लोगों पर हमलावर हैं, सेना का दमन चरम पर है और अर्थव्यवस्था बदहाल है.

इमरान खान को प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व व भारत की उपलब्धियों से प्रेरणा लेनी चाहिए. बदहवासी उनकी सरकार और पाकिस्तान की जनता के लिए फायदेमंद नहीं है. युद्ध समाधान या विकल्प नहीं है. उन्होंने भारत के साथ लड़े युद्धों का इतिहास एक बार फिर पढ़ना चाहिए.

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