बिहार में जारी वर्तमान शिक्षक नियोजन प्रक्रिया में खामियां इतनी हैं कि इस नीति से शिक्षा के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत छात्र-शिक्षक अनुपात कभी सुदृढ़ हो ही नहीं सकता.
साथ ही बहाली प्रक्रिया की पारदर्शिता पर भी पूर्व से सवाल उठते रहे हैं. वर्तमान बहाली प्रक्रिया में एक अभ्यर्थी सैकड़ों जगह आवेदन करते हैं. यदि उनका मेधा अंक बेहतर है, तो उनका दर्जनों जगह नाम आ सकता है. वे ज्वाइन किसी एक जगह करेंगे, बांकी सीटों पर उनका नाम होने से अन्य अभ्यर्थी को मौका शीघ्रता से नहीं मिल पाता, जिससे काफी सारी रिक्तियां शेष रह जाती हैं.
अतः वर्तमान नियोजन में अधिकतम अभ्यर्थियों की नियुक्ति के लिए तथा छात्र-शिक्षक अनुपात सुदृढ़ करने के लिए शिक्षा विभाग को ठोस रणनीति बनानी चाहिए तथा नियोजन इकाइयों की पारदर्शिता पर पैनी नजर रखनी चाहिए.
सौरभ भारद्वाज, रोसड़ा (समस्तीपुर)