संस्कृति विभाग हो राज्यव्यापी
वर्षों पूर्व के प्रस्ताव पर मुहर लगाते हुए बिहार सरकार ने कला-संस्कृति विभाग को राज्यव्यापी बनाने के उद्देश्य से प्रत्येक जिले में कला-संस्कृति कार्यालय की स्थापना और कला-संस्कृति पदाधिकारी व अन्य कर्मियों की नियुक्ति का फैसला लिया है, जो स्वागत योग्य है. झारखंड सरकार को इसका अनुकरण करना चाहिए. गौरतलब है कि झारखंड में कला-संस्कृति […]
वर्षों पूर्व के प्रस्ताव पर मुहर लगाते हुए बिहार सरकार ने कला-संस्कृति विभाग को राज्यव्यापी बनाने के उद्देश्य से प्रत्येक जिले में कला-संस्कृति कार्यालय की स्थापना और कला-संस्कृति पदाधिकारी व अन्य कर्मियों की नियुक्ति का फैसला लिया है, जो स्वागत योग्य है. झारखंड सरकार को इसका अनुकरण करना चाहिए. गौरतलब है कि झारखंड में कला-संस्कृति सर्वाधिक उपेक्षित विभाग है.
यह राजधानी तक सिमटी हुई है. वर्तमान सरकार ने स्थानीय कला और कलाकारों के संरक्षण एवं संवर्धन के मकसद से सुबह-सबेरे एवं शनि परब नामक कार्यक्रम लगभग तीन साल पहले शुरू किया, जो कभी नियमित नहीं चल सका. कलाकार हताश हैं. इस विभाग के विकेंद्रीकरण से हाशिये पर पड़ी झारखंड की सांस्कृतिक परंपराओं, लोककलाओं और कलाकारों को भला हो सकेगा.
सुरजीत झा, गोड्डा