ड्रैगन से सतर्क रहने की जरूरत
अभी चीन के राष्ट्रपति का महाबलीपुरम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अनौपचारिक बातचीत हुई. जिस गर्मजोशी के साथ हमारे प्रधानमंत्री ने उनकी आवभगत की वह काबिलेगौर थी. इस यात्रा का महत्व इसीलिए अधिक हो गया था क्योंकि कश्मीर से धारा 370 तथा 35 ए हटाने के बाद पहली बार दोनों नेता मिल रहे थे. […]
अभी चीन के राष्ट्रपति का महाबलीपुरम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अनौपचारिक बातचीत हुई. जिस गर्मजोशी के साथ हमारे प्रधानमंत्री ने उनकी आवभगत की वह काबिलेगौर थी. इस यात्रा का महत्व इसीलिए अधिक हो गया था क्योंकि कश्मीर से धारा 370 तथा 35 ए हटाने के बाद पहली बार दोनों नेता मिल रहे थे. इस बीच में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान शी-जिनपिंग से मिल चुके थे. चीन को कहीं न कहीं कश्मीर को लेकर एक हिचक है.
वह पाकिस्तान को एक मोहरे की तरह इस्तेमाल कर रहा है और कश्मीर को लेकर बार-बार अलग-अलग बयान दे रहा है. वास्तव में चीन असमंजस में है. पाकिस्तान की स्थिति अब उसे बिना रस वाले नींबू जैसी लग रही है. इतिहास को देखने से पता चलता है कि चीन ने हमेशा धोखा ही दिया है.
पहले भी जब दोनों नेताओं की मुलाकात हुई थी, तो डोकलाम विवाद पैदा हो गया था. पिछले 60 साल के घटनाक्रम पर गौर करें, तो पता चलता है कि हमेशा ही चीन ने अपने चिह्न ड्रैगन के अनुरूप काम किया है. अतः ड्रैगन के साथ दोस्ती सावधानी से ही करने की आवश्यकता है.
आनंद मोहन मिश्र, अरुणाचल प्रदेश