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न तुम हारे, न हम हारे
अयोध्या के राम मंदिर का मामला देश की सबसे बड़ी पंचायत की चौखट पर फैसले का इंतजार कर रहा है. राम मंदिर का सपना लिये सैकड़ों लोगों की आंखें पथरा गयी हैं. राजनीति के खजाने में समस्या के समाधान के हजार तरीके हैं, मगर युगों से आस्था का केंद्र रही अयोध्या बजाय सुलझने के राजनीतिक […]
अयोध्या के राम मंदिर का मामला देश की सबसे बड़ी पंचायत की चौखट पर फैसले का इंतजार कर रहा है. राम मंदिर का सपना लिये सैकड़ों लोगों की आंखें पथरा गयी हैं.
राजनीति के खजाने में समस्या के समाधान के हजार तरीके हैं, मगर युगों से आस्था का केंद्र रही अयोध्या बजाय सुलझने के राजनीतिक मधुमक्खियों में उलझी रही. इस दरम्यान एक विचार ऐसा भी उछला मानो नागफनी के जंगलों से रातरानी की भीनी खुशबू आयी जब इस्लामी पैरोकारों का राम मंदिर के लिए जमीन को उपहार में देने की इच्छा व्यक्त की गयी.
मुद्दा महज आस्था और विश्वास का हो, तो धूल-मिट्टी में सने इतिहास को वहीं छोड़ एक नये इतिहास की तरफ बढ़ने का बेहतरीन मौका है. इस विवाद को हार-जीत और तेरी-मेरी की सियासी घेरेबंदी से बाहर निकालना होगा, ताकि तारीख के पन्ने जब भी पलटे जाएं तो यही लिखा मिले कि न तुम हारे-न हम हारे.
एमके मिश्रा, रातू, रांची
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