घेरे में पाकिस्तान

अपने पड़ोसी देशों को मुसीबत में डालने की कोशिश में लगी पाकिस्तान सरकार लगातार मुसीबतों से घिरती जा रही है. हवाला के जरिये पैसे के लेन-देन को रोकने के लिए बना अंतरराष्ट्रीय समूह ‘फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स’ पाकिस्तान को जवाबदेह ठहराने पर विचार कर रहा है. इस संबंध में आखिरी फैसला शुक्रवार को पेरिस में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 18, 2019 5:40 AM
अपने पड़ोसी देशों को मुसीबत में डालने की कोशिश में लगी पाकिस्तान सरकार लगातार मुसीबतों से घिरती जा रही है. हवाला के जरिये पैसे के लेन-देन को रोकने के लिए बना अंतरराष्ट्रीय समूह ‘फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स’ पाकिस्तान को जवाबदेह ठहराने पर विचार कर रहा है.
इस संबंध में आखिरी फैसला शुक्रवार को पेरिस में चल रही बैठक में लिया जाना है. माना जा रहा है कि हवाला के रास्ते आतंकवादी गतिविधियों को धन मुहैया कराने में पाकिस्तान की भूमिका के कारण उसे ग्रे लिस्ट में डालते हुए उसके ऊपर अनेक पाबंदियां लगायी जायेंगी. खबरों के मुताबिक, तुर्की, चीन और मलेशिया के आग्रह पर उसे काली सूची में नहीं डाला जा रहा है.
इस बारे में फरवरी, 2020 में निर्णय लिया जायेगा. टास्क फोर्स पाकिस्तान को चार महीने का समय देने पर विचार कर रहा है, ताकि वह आतंकवादी गिरोहों और उनके सरगनाओं को मिल रहे धन पर अंकुश लगाने के लिए ठोस कदम उठा सके. वर्ष 1989 में बने इस टास्क फोर्स में अभी 39 देश हैं और इसके नौ सहयोगी संगठन दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय हैं.
हालांकि, इसका बुनियादी उद्देश्य हवाला लेन-देन पर रोक लगाना था, किंतु 2001 में न्यूयॉर्क में हुए आतंकी हमलों के बाद इसके एजेंडे में आतंकवादी गतिविधियों के लिए मुहैया कराये जा रहे धन पर रोक लगाने को भी जोड़ दिया गया है. बदलती दुनिया में जिस तरह से आतंक का इस्तेमाल कुछ देश अपनी रक्षा व विदेश नीति के हिस्से के तौर पर कर रहे हैं तथा जिस तरह से वित्तीय गतिविधियों का वैश्वीकरण हुआ है, आतंक के लिए धन देने का मामला एक गंभीर चुनौती बनता जा रहा है.
भारतीय जांच एजेंसियों को पुख्ता सबूत मिले हैं कि कश्मीर में अलगाववाद और आतंकवाद को भड़काने के लिए पाकिस्तान धन दे रहा है. अफगान सरकार ने लगातार आरोप लगाया है कि पाक सेना की कुख्यात खुफिया एजेंसी आइएसआइ खून-खराबा कर रहे गिरोहों को आर्थिक मदद देती है. ऐसे गिरोहों तथा चरमपंथी समूहों को पड़ोसी देशों के खिलाफ काम करने के लिए पाकिस्तान हथियार, प्रशिक्षण और आश्रय भी देता है.
उसकी धरती पर सक्रिय कई संगठनों और उनके संचालकों को संयुक्त राष्ट्र ने भी प्रतिबंधित किया है. खुद पाक प्रधानमंत्री इमरान खान स्वीकार कर चुके हैं कि उनके यहां हजारों आतंकी हैं. यह पहली बार नहीं हो रहा है कि पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाला जा रहा है. इससे पहले दो बार उसे इस श्रेणी में रखा जा चुका है.
पिछले साल जून में उसे 27 बिंदुओं पर सितंबर, 2019 तक काम करने को कहा गया था. टास्क फोर्स के एशिया-प्रशांत समूह ने अगस्त में पाकिस्तान को उसकी असफलताओं के लिए अपनी काली सूची में डाल दिया था. यह भी विडंबना ही है कि टास्क फोर्स की कार्रवाई के लिए भी इमरान खान भारत के दबाव को जिम्मेदार ठहरा चुके हैं, जबकि जरूरत तो यह है कि वे अपनी करतूतों का हिसाब लगाकर सुधरने की कोशिश करें.

Next Article

Exit mobile version