शांति और साहचर्य से रहने वाले देश सांस्कृतिक, साहित्यिक और ललित कलाओं में अपने को सर्वोच्च स्थान पर पहुंचा देते हैं. युद्धोन्माद और अपनी शक्ति की अपराजेयता पर दंभी केवल ‘मूर्ख’ बनता है.
आज के वैश्विक परिदृश्य में अमेरिका जैसा ‘स्वयंभू महाबली’ भी उत्तर कोरिया जैसे एक छोटे से देश की एक ‘घुड़की’ के आगे बेबस होकर अपनी हद में लौट आता है, क्योंकि इस बात को वह खूब जानता है कि एंटीमिसाइलों की छतरी के नीचे रहने के बावजूद अगर उत्तर कोरिया का एक भी परमाणु या हाइड्रोजन बम भूले-भटके वाशिंगटन पर गिर गया, तो वह उसके द्वारा हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराये गये परमाणु बमों से हजारों गुना ज्यादा नुकसानदेह साबित हो सकता है. इसलिए मियां इमरान को परमाणु युद्ध की धमकी देने वाली ‘बचकानी हरकत ‘ से अब बाज आना ही चाहिए.
निर्मल कुमार शर्मा, गाजियाबाद