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सड़क किनारे नहीं है यात्री शेड
राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-2 के किनारे यात्रियों के चलने के लिए बिल्कुल जगह नहीं है. सड़क के किनारे झाड़ियों ने कब्जा जमा लिया है.यात्रियों को अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए कोई निश्चित बस-पड़ाव नहीं होने के कारण सड़क किनारों पर अपनी जान को खतरे में डालकर बस का इंतजार खुले आसमान के नीचे करना पड़ता […]
राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-2 के किनारे यात्रियों के चलने के लिए बिल्कुल जगह नहीं है. सड़क के किनारे झाड़ियों ने कब्जा जमा लिया है.यात्रियों को अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए कोई निश्चित बस-पड़ाव नहीं होने के कारण सड़क किनारों पर अपनी जान को खतरे में डालकर बस का इंतजार खुले आसमान के नीचे करना पड़ता है. विश्व प्रसिद्ध पार्श्वनाथ की भूमि के इसरी बाजार से देश की कोयला राजधानी धनबाद तक यात्रियों के ठहराव के लिए एक भी यात्री शेड नहीं है.
लोगों को धूप और बारिश के बीच ही दुर्घटना का डर मन में लिए खुली सड़क के किनारे बसों का इंतजार करना पड़ता है. फोर लेन और सिक्स लेन सड़कें बनानेवाली कंपनियां राष्ट्रीय राजमार्ग कानून का धता बताती हुई जनता की गाढ़ी कमाई से आनेवाले टैक्स के पैसों से देशभर में राजमार्गों का निर्माण करती हैं. लेकिन विडंबना यह है कि सरकार और प्रशासन भी इन आवश्यक बातों पर ध्यान नहीं देती हैं. यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है और आम लोगों की जान के साथ खिलवाड़ है.
कहीं न कहीं यह हालात पूरे देश में है. सड़क किनारे यात्री शेड, पैदल यात्रियों एवं साइकिल सवारों के लिए पर्याप्त स्थान, जगह-जगह जेब्रा क्राॅसिंग आदि की उचित व्यवस्था जनता के हित में किया जाना चाहिए.
देवेश कुमार, गिरिडीह
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