आतंकवाद की चुनौती बरकरार कठोर कदम की जरूरत
सीरिया एवं इराक की सरजमीं पर पैर पसारे आइएसआइएस के सरगना बगदादीका खात्मा पश्चिमी एशिया के तमाम देशों के लिए राहत की बात है. लेकिन यह समझ लेना कि बगदादी के अंत से आतंकवाद का खात्मा नहीं हो गया है. इसकी चुनौती बरकरार है. एक जमाने में जब ओसामा बिन लादेन आतंक का पर्याय था, […]
सीरिया एवं इराक की सरजमीं पर पैर पसारे आइएसआइएस के सरगना बगदादीका खात्मा पश्चिमी एशिया के तमाम देशों के लिए राहत की बात है. लेकिन यह समझ लेना कि बगदादी के अंत से आतंकवाद का खात्मा नहीं हो गया है. इसकी चुनौती बरकरार है. एक जमाने में जब ओसामा बिन लादेन आतंक का पर्याय था, तब अमेरिका ने उसका खात्मा कर आतंकवाद की खात्मे का एलान किया था. लेकिन, आइएसआइएस जैसे खतरनाक आतंकवादी संगठन अब भी बचे हुए हैं.
हालांकि अब आतंक का यह दूसरा अध्याय भी समाप्त हो चुका है, लेकिन हमें यह याद रखना चाहिए कि जेहादी आतंकवाद जिसकी बर्बरता से हम सभी वाकिफ हैं. आतंकवाद के खिलाफ पूरी दुनिया को एकजुट होकर कार्रवाई करनी होगी. साथ ही उन देशों को भी विश्व स्तर पर दरकिनार करने की जरूरत है, जो आतंकवाद से संबंध रखते हैं.
बिन्नी कुमारी, सारण