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सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति

पिछले सात सालों से जारी बातचीत के बाद आखिरकार भारत ने आसियान के दस देशों के साथ छह अन्य भागीदार देशों वाले क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसीइपी) करार से बाहर रहने का फैसला किया है. ऐसी आशंका थी कि इस समझौते से देश में चीन, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देशों के सस्ते कृषि और औद्योगिक […]

पिछले सात सालों से जारी बातचीत के बाद आखिरकार भारत ने आसियान के दस देशों के साथ छह अन्य भागीदार देशों वाले क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसीइपी) करार से बाहर रहने का फैसला किया है. ऐसी आशंका थी कि इस समझौते से देश में चीन, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देशों के सस्ते कृषि और औद्योगिक उत्पादों की बाढ़ आ जायेगी, जिससे यहां के किसानों, छोटे कारोबारियों और डेयरी उत्पादकों को बहुत नुकसान होगा.
ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो आरसीईपी में शामिल न होने की घोषणा की है, वह उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति को दर्शाता है. निस्संदेह, सरकार के इस फैसले से तात्कालिक तौर पर भारत की ‘लुक ईस्ट पॉलिसी’ को धक्का लग सकता है, लेकिन हमें विश्वास है कि देश का वर्तमान नेतृत्व इसका समाधान निकालने में सक्षम है.
चंदन कुमार, देवघर

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