न बढ़ाए जाएं कार्यदिवस के घंटे
बीसवीं सदी के शुरुआती वर्षों में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा काफी मशक्कत के बाद मजदूरों के लिए आठ घंटा प्रतिदिन और 48 घंटा सप्ताह में कार्य करने का समय निर्धारित कराया गया था. मगर जब भारत सरकार द्वारा यह घोषणा की गयी कि यह समय आठ से बढ़ा कर नौ किया जा रहा है, सचमुच […]
बीसवीं सदी के शुरुआती वर्षों में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा काफी मशक्कत के बाद मजदूरों के लिए आठ घंटा प्रतिदिन और 48 घंटा सप्ताह में कार्य करने का समय निर्धारित कराया गया था. मगर जब भारत सरकार द्वारा यह घोषणा की गयी कि यह समय आठ से बढ़ा कर नौ किया जा रहा है, सचमुच दुख हुआ. यह सीधा-सीधा व्यापारियों एवं उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए यह बदलाव किया जा रहा है.
दुनिया के कई देशों में बहुत पहले ही सप्ताह में पांच दिन कार्यदिवस का चलन शुरू हुआ था. और अब तो कई देश उसे और घटा कर चार दिन कर चुके हैं. जैसे नीदरलैंड में कार्यदिवस चार दिन कर दिया गया है.
इससे कामगार पहले की तुलना में 40 फीसदी ज्यादा उत्पादन कर रहे हैं. हमारी सरकार काम के समय में बढ़ोतरी करने पर आमादा दिख रही है, मगर न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने में उसकी कोई दिलचस्पी नहीं है. इसका मतलब सरकार वोट लेने के लिए मजदूरों के पास हाथ जोड़ती है, मगर नियम बनाने के समय मालिकों के पक्ष में काम करती है.
जंग बहादुर सिंह, जमशेदपुर