प्रत्याशी का मापदंड

झारखंड में विधानसभा चुनाव की बिगुल बज चुका है. लोकतंत्र की स्थापना में चुनाव सबसे बड़ा प्रकल्प है और इसमें प्रत्याशियों के मापदंड भी आम जनता को तय करना चाहिए. प्रत्याशी ऐसा हो कि राजनीति को वृत्ति न मानकर जनसेवा का माध्यम माने. परियोजनाओं को पूर्ण करवाने में दक्ष हो और प्रशासनिक पदाधिकारियों की जनता […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 8, 2019 7:37 AM
झारखंड में विधानसभा चुनाव की बिगुल बज चुका है. लोकतंत्र की स्थापना में चुनाव सबसे बड़ा प्रकल्प है और इसमें प्रत्याशियों के मापदंड भी आम जनता को तय करना चाहिए. प्रत्याशी ऐसा हो कि राजनीति को वृत्ति न मानकर जनसेवा का माध्यम माने.
परियोजनाओं को पूर्ण करवाने में दक्ष हो और प्रशासनिक पदाधिकारियों की जनता के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित करा सके. जनता को यह जरूर देखना चाहिए कि कहीं चुनाव का प्रत्याशी विचारहीन तो नहीं? भ्रष्ट प्रत्याशियों का बहिष्कार होना चाहिए. आय से अधिक संपत्ति के मामले सिर्फ खबर बनकर न रहें, बल्कि मीडिया को इस बाबत जनता के बीच जागरूकता फैलाना चाहिए.
राष्ट्रीय या स्थानीय मुद्दों में नीतिगत फैसले लेने के काबिल हों हमारे प्रत्याशी. जनता को व्यक्तिवादी दलों से और उनके प्रत्याशियों से बचना चाहिए. प्रत्याशियों में भारत की क्षेत्रीय, सांस्कृतिक, भाषाई और वैचारिक विविधता के प्रति सम्मान और स्वीकार्यता का भाव भी अपेक्षित है.
डॉ मनोज आजिज, जमशेदपुर

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