नेपाल में मोदी करें कोसी पर चर्चा

बिहार का शोक कही जानेवाली कोसी नदी के आसपास रहनेवाली करीब डेढ़ लाख की आबादी खौफ के साये में है. यूं तो हर साल मॉनसून उनके लिए कटाव और विस्थापन का दर्द लेकर आता है, लेकिन इस बार नेपाल में भू स्खलन से नदी की मुख्य धारा में अवरोध के कारण स्थिति ज्यादा भयावह है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 4, 2014 12:32 AM

बिहार का शोक कही जानेवाली कोसी नदी के आसपास रहनेवाली करीब डेढ़ लाख की आबादी खौफ के साये में है. यूं तो हर साल मॉनसून उनके लिए कटाव और विस्थापन का दर्द लेकर आता है, लेकिन इस बार नेपाल में भू स्खलन से नदी की मुख्य धारा में अवरोध के कारण स्थिति ज्यादा भयावह है. गनीमत है कि समय रहते सरकार ने राहत व बचाव के लिए जरूरी तैयारियां पूरी कर ली हैं.

तटबंधों के भीतर के गांवों को पूरी तरह खाली तो नहीं कराया जा सका, लेकिन वहां के लोगों को समय रहते आगाह कर देने से उन्होंने सुरक्षित ठिकाने ढूंढ़ लिये हैं. संभावित तबाही को देखते हुए एनडीआरएफ और सेना ने भी मोरचा संभाल लिया है. कोसी की ताजा त्रसदी (जिसके टलने की पूरी गुंजाइश है) के साथ दो संयोग जुड़े हैं. पहला, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेपाल की यात्रा पर हैं और दूसरा, छह साल पहले कुसहा तटबंध के ध्वस्त होने की जांच रिपोर्ट (जस्टिस वालिया कमेटी) हाल ही में सार्वजनिक हुई है.

वालिया कमेटी ने माना है कि 18 अगस्त, 2008 को तटबंध टूटने के बाद अफसरों के बीच आपसी समन्वय की कमी रही. कुसहा तटबंध टूटने के बाद कोसी में आयी बाढ़ से 527 लोगों की मौत हो गयी थी. कोसी नदी नेपाल से हो कर बिहार में प्रवेश करती है.

वहां होने वाली कोई भी प्राकृतिक हलचल इसकी धारा को प्रभावित करती है. भौगोलिक परिस्थितियां इस बात की इजाजत नहीं देतीं कि कोसी की धारा को हम नियंत्रित करें, क्योंकि नेपाल बिहार से ज्यादा ऊंचाई पर है. नेपाल में पानी का बहाव तेज होगा, तो यकीनन बिहार प्रभावित होगा. यही वजह है कि लंबे समय से कोसी पर बड़े बराज निर्माण की मांग उठती रही है. वर्ष 2004 में सप्तकोसी हाइडैम और बहुद्देश्यीय परियोजना के लिए प्रस्ताव तैयार करने पर दोनों देशों के बीच सहमति बनी थी. लेकिन, अब तक इसकी समय सीमा पांच बार बढ़ चुकी है. कोसी में तबाही की आहट के बीच, जब मोदी नेपाल के दो दिवसीय दौरे पर हैं, तो यह उम्मीद की जानी चाहिए कि एक बार फिर बिहार में बाढ़ के स्थायी समाधान के मुद्दे पर नेपाल से बातचीत होगी. लेकिन, इसके पहले राज्य सरकार को कोसी की संभावित तबाही से निबटने व जान-माल की रक्षा के इंतजाम को और पुख्ता करना होगा.

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