संविधान निर्माताओं ने अपना संविधान रचने के पूर्व दुनिया के कई संविधानों को पढ़ा और अनुभव लिया. वैसे प्राचीन भारत में भी लोकतंत्र व नीति निदेशक तत्वों जैसी धारणाएं थीं. अन्य देशों से अलग भारत के संविधान में प्रशासनिक उपबंध भी हैं. हम निरंतर अपने संविधान को उत्तरोत्तर उपयोगी बना रहे हैं. इसमें कई संशोधन हो चुके हैं और भविष्य में भी होंगे. संविधान स्वयं शक्तिसंपन्न नहीं होता.
डॉ आंबेडकर ने 25 नवंबर, 1949 को संविधान सभा के अंतिम भाषण में ठीक कहा था, ‘संविधान चाहे जितना अच्छा हो, यदि उसे संचालित करने वाले लोग बुरे हैं, तो वह निश्चित ही बुरा हो जाता है.’ डॉ राजेंद्र प्रसाद ने कहा था, ‘संविधान किसी बात के लिए उपबंध करे या न करे, देश का कल्याण उन व्यक्तियों पर निर्भर करेगा, जो देश पर शासन करेंगे.’ ऐसे में हमारे सामने इसके दुरुपयोग के भी उदाहरण हैं.
अमर कुमार यादव, पटना, बिहार