सुप्रीम कोर्ट ने राजधानी में बढ़ते प्रदूषण पर नाराजगी जाहिर करते हुए पूछा कि क्या लोगों को गैस चैंबर में रहने के लिए मजबूर किया जा राजा है? सुप्रीम कोर्ट ने कई राज्य समेत केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा करके पूछा कि क्यों प्रदूषण को रोकने के लिए कोई इच्छाशक्ति नहीं दिखायी जा रही है? क्या यह प्रशासन की विफलता नहीं है?
इन फटकारों के बीच राहत की बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को कहा है कि दोनों अपने मतभेदों को अलग रखें और प्रदूषण रोकने के लिए शहर के विभिन्न हिस्सों में एयर प्यूरिफाइंग टावर स्थापित करने के लिए 10 दिन के भीतर योजना बनायें. अब सवाल यह है कि यह तो राजधानी दिल्ली की बात है, मगर बाकी देश का क्या? क्या हम पंछी उन्मुक्त गगन के इस गैस चैंबर में रह पायेंगे, प्रदूषित पानी पियेंगे? विचार किया जाये.
अमर कुमार यादव, धनबाद, झारखंड