आधी आबादी के साथ कुकृत्य समाज के लिए बदनुमा दाग
बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ नारों के बीच में जिस प्रकार भारत में आधी आबादी के साथ कुकृत्य हो रहे हैं वह समाज के लिए बदनुमा दाग है. हालांकि यह कोई नयी बात नहीं है. समाज की कितनी बड़ी विडंबना है कि जिस औरत के गर्भ में रहकर पुरुष नौ माह तक पलते हैं, उसे ही वह […]
बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ नारों के बीच में जिस प्रकार भारत में आधी आबादी के साथ कुकृत्य हो रहे हैं वह समाज के लिए बदनुमा दाग है. हालांकि यह कोई नयी बात नहीं है.
समाज की कितनी बड़ी विडंबना है कि जिस औरत के गर्भ में रहकर पुरुष नौ माह तक पलते हैं, उसे ही वह भोग्य की वस्तु समझते हैं. जहां आज हम अपने आपको सभ्य और बुद्धिमान समझते हैं वहां इस तरह के कुकृत्य सभ्यता की शुरुआत के आदिमानवों की सोच से भी बदतर बनाता है.
जंगल में रहने वाले पशु भी इस तरह के कुकृत्य नहीं करते हैं. क्या वे जंगलों में रहने वाले पशु से भी गिरे हैं? अब समय आ गया है कि लड़कियों को बचपन से ही आत्मरक्षा करना सिखाया जाये, ताकि लड़कियां खुद की रक्षा कर सकें. इस तरह के मामलों में न्याय में विलं भी कुकृत्य को बढ़ावा देता है.
आनंद पांडेय, रोसड़ा (समस्तीपुर)