जीवों के अंगों की बिक्री पर रोक

पौधों एवं उनकी जड़ों से दवाई बनायी जाती है, तो फिर वन्य जीवों के अंगों से बनायी जानेवाली दवाओं का उपयोग क्यों किया जाता है. कहीं-कहीं बाजारों में जंगली पशु-पक्षियों के अंगों से बनी दवाई, ताबीज, गंडे आदि मिलते हैं. उदाहरण के तौर पर, गैंडे के सींग से बनी वियाग्रा, सांडे का तेल, शेर-भालू के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 6, 2019 6:50 AM

पौधों एवं उनकी जड़ों से दवाई बनायी जाती है, तो फिर वन्य जीवों के अंगों से बनायी जानेवाली दवाओं का उपयोग क्यों किया जाता है. कहीं-कहीं बाजारों में जंगली पशु-पक्षियों के अंगों से बनी दवाई, ताबीज, गंडे आदि मिलते हैं.

उदाहरण के तौर पर, गैंडे के सींग से बनी वियाग्रा, सांडे का तेल, शेर-भालू के नाखून, उल्लू की हड्डी आदि को लाकर कुछ लोग दुकान लगाते हैं. पहाड़ी क्षेत्रों में ये दुकानें खुले रूप में देखने को मिलती हैं वन्य जीवों के अंगों से निर्मित दवाइयों पर अंकुश आवश्यक है. इस पर अंकुश नहीं होने से अवैध शिकार की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलेगा. साथ ही विलुप्त प्रजाति के वन्य जीवों की संख्या में भी कमी होगी और हमारी जैव विविधता भी बची रहेगी.

संजय वर्मा, धार, मध्य प्रदेश

Next Article

Exit mobile version