दुखद है शिक्षा का निजीकरण

आज भारत में प्राथमिक, मिडिल और उच्च शिक्षा की दयनीय स्थिति पर मातम मनाया जा सकता है. देशभर में फैले प्राथमिक पाठशालाओं, हाई स्कूलों, इंटरमीडिएट कॉलेजों और उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की घोर कमी है. जबकि उच्च शिक्षाप्राप्त डिग्रीधारी, काबिल युवा बेरोजगार हैं. पैसे के अभाव का बहाना बनाकर प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों को निजी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 6, 2019 6:51 AM
आज भारत में प्राथमिक, मिडिल और उच्च शिक्षा की दयनीय स्थिति पर मातम मनाया जा सकता है. देशभर में फैले प्राथमिक पाठशालाओं, हाई स्कूलों, इंटरमीडिएट कॉलेजों और उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की घोर कमी है.
जबकि उच्च शिक्षाप्राप्त डिग्रीधारी, काबिल युवा बेरोजगार हैं. पैसे के अभाव का बहाना बनाकर प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों को निजी हाथों में बेचा जा रहा है. फीस बेतहाशा बढ़ायी जा रही है, ताकि आम आदमी अपने बच्चों को पढ़ा ही न सके. शिक्षा का निजीकरण बेहद दुखद है.
निर्मल कुमार शर्मा, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश

Next Article

Exit mobile version