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एक लाख एकल विद्यालय का संकल्प पूरा

अमरेंद्र विष्णुपुरी केंद्रीय प्रमुख, संवाद विभाग, एकल अभियान delhi@prabhatkhabar.in वर्ष 1988 में झारखंड के धनबाद जिले के टुंडी प्रखंड के एक छोटे-से गांव से स्वर्गीय मदनलाल अग्रवाल के प्रयास से एकल विद्यालय अभियान का शुभारंभ हुआ था. इस प्रखंड में एक वर्ष में दस ऐसे विद्यालय स्थापित हो गये. इसी के साथ इस संबंध में […]

अमरेंद्र विष्णुपुरी

केंद्रीय प्रमुख, संवाद विभाग, एकल अभियान

delhi@prabhatkhabar.in

वर्ष 1988 में झारखंड के धनबाद जिले के टुंडी प्रखंड के एक छोटे-से गांव से स्वर्गीय मदनलाल अग्रवाल के प्रयास से एकल विद्यालय अभियान का शुभारंभ हुआ था. इस प्रखंड में एक वर्ष में दस ऐसे विद्यालय स्थापित हो गये. इसी के साथ इस संबंध में एक कार्यपद्धति विकसित होने लगी. यह उल्लेख करते हुए रोमांच एवं गौरव का अनुभव हो रहा है कि 31 वर्ष होते-होते ‘एक लाख एकल विद्यालय’ का चिरप्रतिक्षित महत्वाकांक्षी सपना आज यानी छह दिसंबर, 2019 को पूरा हो रहा है. इस लक्ष्यपूर्ति के पीछे आध्यात्मिक अंतर्कथा है.

बात वर्ष 1999 की है. तब संत ऋषि तुल्य हिंदू हृदय सम्राट और विश्व हिंदू परिषद् के तत्कालीन अध्यक्ष पूज्य अशोक सिघंल ने एकल विद्यालय को ब्रह्मास्त्र की संज्ञा देते हुए कहा था- ‘हिंदू समाज के हाथ में ब्रह्मास्त्र लग गया है, जिसका नाम है- एकल विद्यालय. इसके माध्यम से हम देश की सारी समस्याओं का समाधान करेंगे.’ वे पूज्य संत सत्य साईं बाबा के अनन्य भक्त थे. उस वर्ष सिंघल उनसे मिलने गये थे.

एकल विद्यालय के बारे में चर्चा के दौरान साईं बाबा ने उनसे पूछा कि ऐसे विद्यालय का लक्ष्य कितना है? सिंघल ने बताया कि उनका लक्ष्य 10 हजार एकल विद्यालयों का है. यह उत्तर सुनते ही सत्य साईं बाबा ने आश्चर्य से कहा- ‘मात्र 10 हजार! बात करते हो ब्रह्मास्त्र की, और लक्ष्य रखते हो मात्र 10 हजार! तुम्हारा लक्ष्य एक लाख होना चाहिए.’ एक लाख की बात सुनते ही पूज्य अशोक जी के मुंह से निकला- ‘एक लाख! कार्यकर्ता कहां से आयेंगे? धन कहां से आयेगा?’ यह सुनते ही सत्य साईं बाबा ने कहा- ‘अशोक! बाबा विद यू (बाबा तुम्हारे साथ है).’

अशोक जी ने यह बात एकल अभियान के संस्थापक सदस्य श्यामजी गुप्त को जब बतायी, तो उस समय उन्हें समझ में नहीं आया. अकल्पनीय सा लगा. लेकिन, श्याम जी को आध्यात्मिकता के आधार पर इतना तो समझ में आ रहा था कि सत्य साईं बाबा भगवान के अवतार हैं, जब उन्होंने एक लाख एकल विद्यालय की बात कही है, तो उनकी ही बात को यानी एक लाख एकल विद्यालय के लक्ष्य को श्यामजी ने भी कहना शुरू कर दिया.

ऋषिकेश के गंगा तट पर साल 2000 में एकल अभियान के संस्थापक सदस्य श्यामजी गुप्त को परमार्थ निकेतन के प्रमुख चिदानंद जी महाराज जी एवं वनबंधु परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष स्वर्गीय पीडी चितलांगिया ने गंगा आरती के समय एक लाख एकल विद्यालय स्थापित करने की शपथ दिलवायी.

इसके साक्षी बने थे ऋषिकेश के गंगा तट और उसके सम्मुख महादेव की भव्य मूर्ति. वर्ष 1999 में अशोक सिंघल अमेरिका गये थे. वहां बसे भारतीयों ने उनसे कहा कि हम अमेरिका में रहकर भारत के लिए क्या कर सकते हैं? उन्होंने एकल विद्यालय का परिचय दिया. अमेरिकावासियों को इस अभियान के बारे में समझाने के लिए 2001 में श्यामजी अमेरिका गये. तीन माह के प्रवास के दौरान वे एकल विद्यालय के बारे में बताते रहे. अमेरिकावासियों ने उनकी बातें स्वीकार तो कीं, पर विश्वास करने के लिए स्वयं अपनी आंखों से देखने के लिए एक दल भारत आया. एकल विद्यालयों को देखकर उन्होंने कहा कि श्यामजी, अब आपका लक्ष्य एक लाख से एक भी कम नहीं रहेगा और आपको धन की कमी नहीं होने देंगे.

अशोक सिघंल ने 2000 में एकल विद्यालय को ब्रह्मास्त्र की संज्ञा देते हुए एक लाख एकल विद्यालय का लक्ष्य तय कर दिया. उसी वर्ष इसकी प्रतिज्ञा भी ले ली गयी और अवधि भी निर्धारित हो गयी. प्रतिज्ञा से 11 वर्ष बाद यानी 2011 में एक लाख एकल विद्यालय का लक्ष्य पूरा कर लेने का संकल्प लिया गया, क्योंकि उस वर्ष ठाकुर रामकृष्ण परमहंस के जन्म का 175वां वर्ष पूरा होने का संयोग था.

लक्ष्य तो तय हो गया था, लेकिन इसे पूरा करने के लिए संकल्प और संशय दोनों साथ-साथ चलते रहे. एकल विद्यालय से एकल अभियान बन गया.

इस अभियान मेें वे सब कार्यक्रम चलते रहे, जो निश्चित हुए और वे सब पूर्ण होते गये. पहली बार 2005 में इंदौर में ‘कार्यकर्ता कुंभ’ का आयोजन किया गया. उसके बाद 2009 में दिल्ली में ‘एकल कुंभ’ और मुंबई में ‘संस्कार कुंभ’ का सफल आयोजन हुआ. किंतु 2011 तक एक लाख एकल विद्यालय स्थापित नहीं हो सके. वर्ष 2018 में श्यामजी गुप्त से ऋषिकेश के गंगा तट पर मां गंगा एवं पिता महादेव से पुनः हुए साक्षात्कार की झांकी इस प्रकार है- ‘श्यामजी गुप्त मां गंगा के सम्मुख हाथ जोड़कर आंखें बंद कर बार-बार क्षमा याचना करते रहे.

मां गंगा ने उन्हें डांट लगायी कि इतने दिन तुम कहां थे? अपनी तकलीफ बताने क्यों नहीं आये? श्यामजी कहते रहे- मां! तुम्हारे पास मैं नहीं आया, किंतु महादेव का तो प्रतिदिन निवेदन करता रहा. यह सुनते ही मां ने और जोर से डांट लगायी और बोली- अरे मूर्ख! पुत्र का दुख मां अच्छी तरह समझती है या पिता? यह सुनकर श्यामजी स्तब्ध रह गये. आंखो से अश्रुधारा बहने लगी. तब गंगा मां ने कहा- जाओ, संकल्प और साहस से आगे बढ़ो, तुम्हारा लक्ष्य पूरा हो जायेगा. यही अवसर है एक लाख एकल विद्यालय के लक्ष्य के पूर्ण होने का.

नवंबर, 2019 में लखनऊ में एकल अभियान का ‘परिवर्तन कुंभ’ आयोजित हुआ था. इस अवसर पर लक्ष्य पूरा होना था. श्यामजी ने कुछ केंद्रीय कार्यकर्ताओं के समक्ष दुखी मन से यह प्रस्ताव भी रख दिया था कि यदि ‘परिवर्तन कुंभ’ तक एक लाख एकल विद्यालय पूरे नहीं हुए, तो वे उसमें शामिल नहीं होंगे. प्रभु राम की कृपा से आयोजन की तिथियों में बदलाव करना पड़ा. इधर राम जन्मभूमि का भी समाधान हुआ, तो उधर प्रभु राम ने एक लाख एकल विद्यालय के लक्ष्य को भी पूरा कर दिया और ‘परिवर्तन कुंभ’ की संशोधित तिथियां फरवरी, 2020 में निर्धारित कर दी गयीं.

एकल अभियान से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी गहरा लगाव है. इससे उनकी आकांक्षाएं और अपेक्षाएं भी हैं. उन्होंने अपना मंतव्य इस प्रकार व्यक्त किया था- ‘देश के दूर-सुदूर क्षेत्रों में, खासकर आदिवासी बच्चों के लिए एकल विद्यालय चल रहे हैं. वर्ष 2022 में जब आजादी के 75 साल होंगे, तब तक एकल विद्यालय को एक लाख तक पहुंचाना है.

मैं भी आपसे आग्रह करूंगा, हम अभी से संकल्प करें, हम देश के लिए आनेवाले पांच सालों के लिए कुछ संकल्प लेकर शुरुआत करें.’ प्रधानमंत्री मोदी की अपेक्षा से लगभग दो-ढाई वर्ष पहले ही एक लाख एकल विद्यालय का लक्ष्य पूर्ण होने के अद्भुत संतोष की अनुभूति एकल अभियान के कर्मवीरों को मिल रही है. भारत सरकार द्वारा एकल अभियान को प्रदत्त ‘गांधी शांति पुरस्कार 2017’ की अद्भुत प्रेरणा भी काम कर रही है.

एक लाख एकल विद्यालय के लक्ष्य की पूर्ति के अवसर पर छह दिसंबर, 2019 को गुजरात के सोनगढ़ में एक ऐतिहासिक समारोह का आयोजन है. इसमें प्रधानमंत्री मोदी का वीडियो काॅन्फ्रेंस से उद्बोधन का कार्यक्रम है. एक लाखवां एकल विद्यालय के रूप में कासुदी एकल विद्यालय को चिह्नित किया गया है.

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