संतुलित हो डेटा शुल्क
प्रमुख टेलीकॉम कंपनियों द्वारा मोबाइल फोन शुल्कों में 45 फीसदी तक की बढ़ोतरी उपभोक्ताओं के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकती है.कंपनियों और कारोबार के जानकारों का यह तर्क अपनी जगह सही हो सकता है कि टेलीकॉम सेक्टर को सुचारू रूप से चलाने के लिए शुल्कों को 50 फीसदी तक बढ़ाने की जरूरत है […]
प्रमुख टेलीकॉम कंपनियों द्वारा मोबाइल फोन शुल्कों में 45 फीसदी तक की बढ़ोतरी उपभोक्ताओं के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकती है.कंपनियों और कारोबार के जानकारों का यह तर्क अपनी जगह सही हो सकता है कि टेलीकॉम सेक्टर को सुचारू रूप से चलाने के लिए शुल्कों को 50 फीसदी तक बढ़ाने की जरूरत है तथा यह तथ्य भी ठीक है कि भारत अब भी उन देशों में शामिल हैं, जहां डेटा टैरिफ सबसे कम हैं.
पिछले कुछ सालों में इस सेक्टर में तेज विकास से सेवाएं भी बेहतर हुई हैं और कम दाम पर सस्ता डेटा भी उपलब्ध हुआ है. इस संदर्भ में अन्य पहलुओं पर भी विचार करना जरूरी है. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि इस कदम से प्रमुख क्षेत्रों में (खाद्य व ऊर्जा को छोड़कर) मुद्रास्फीति बढ़ सकती है.
ऐसी आशंका चिंताजनक है. हमारी विकास यात्रा में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का अहम स्थान है. इसके लिए जरूरी है कि स्मार्ट फोन, कंप्यूटर और इंटरनेट का प्रसार जारी रहे. शुल्कों को बढ़ाने से न सिर्फ मौजूदा उपभोक्ताओं को परेशानी होगी, बल्कि नये ग्राहकों के जुड़ने की गति भी धीमी होगी. देश की करीब 55 फीसदी आबादी अभी डेटा सेवाओं से दूर है और इसका बड़ा हिस्सा ग्रामीण व पिछड़े क्षेत्रों में निवास करता है. इस वर्ग के लिए बढ़ी हुई कीमतों पर डेटा सेवा ले पाना बहुत मुश्किल है. इस संदर्भ में यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि 2जी सेवाओं के महंगा होने के नकारात्मक परिणाम पहले से ही हमारे सामने हैं.
दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण के आंकड़ों के अनुसार दिसंबर, 2018 और जून, 2019 के बीच दो करोड़ उपभोक्ताओं ने अपना सब्सक्रिप्शन छोड़ा है. आर्थिक, शैक्षणिक और सामाजिक विषमता की तरह डिजिटल विषमता को कम करने के प्रयासों की जरूरत है, ताकि डिजिटल इंडिया कार्यक्रम को साकार किया जा सके.
दुनिया के अनेक देशों में जीवन के हर क्षेत्र में अत्याधुनिक तकनीकों के माध्यम से बेहतर सुविधाएं देने और पारदर्शिता बढ़ाने की कोशिशें हो रही हैं. भारत ने भी सूचना तकनीक की क्रांति की शानदार उपलब्धियों को देखा है. यदि बुनियादी संचार सेवाएं ही आबादी के बड़े हिस्से के लिए बोझ बन जायेंगी, तो फिर हम किस आधार पर इंटरनेट के इस्तेमाल से उनके जीवन को सुगम बनाने के उद्देश्य को पूरा कर सकेंगे? कुछ ही समय में 5जी तकनीक का आगमन होना है, जो महंगा होने के साथ बेहद उपयोगी हो सकता है.
उससे पहले की तकनीकों को सस्ता और सुलभ बनाना जरूरी है, ताकि देश को भविष्य के लिए तैयार किया जा सके. निम्न आय वर्ग और दूरदराज के लोगों की तकनीक तक पहुंच को सुनिश्चित करने से उत्पादन व मांग को बढ़ाने में भी मदद मिलेगी, जो अर्थव्यवस्था के लिए सबसे जरूरी तत्व हैं. चुनौतियों का ठोस हल निकालने के लिए सरकार और टेलीकॉम कंपनियों को कोशिश करनी चाहिए. ग्राहकों पर बोझ डालकर कारोबारी मुश्किलों का हल निकालना सही तरीका नहीं है.