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समाज अपनी जिम्मेदारी समझे
देश में बलात्कार, रेप की घटनाओं से पूरा देश गुस्से में है. क्योंकि आजादी के 70 सालों बाद भी महिलाओं को हम उनका हक और आजादी नहीं दे पाये हैं. नारी को पूजनेवाले देश में हर दिन महिलाओं के साथ छेड़छाड़, बदसुलूकी, बलात्कार जैसी घटनाओं से समाज को शर्मसार होना पड़ता है. ऐसी घटना होते […]
देश में बलात्कार, रेप की घटनाओं से पूरा देश गुस्से में है. क्योंकि आजादी के 70 सालों बाद भी महिलाओं को हम उनका हक और आजादी नहीं दे पाये हैं.
नारी को पूजनेवाले देश में हर दिन महिलाओं के साथ छेड़छाड़, बदसुलूकी, बलात्कार जैसी घटनाओं से समाज को शर्मसार होना पड़ता है. ऐसी घटना होते ही समाज महिलाओं को ही सवालों में घेर देता है. यहां तक कि अपने भी सवाल करते हैं कि तुम ऐसे कपड़े क्यों पहनी थी? उस समय बाहर क्यों गयी? तुम्हें उस रास्ते से नहीं जाना चाहिए? और लड़कियों को घर में ही रहना ठीक होता है, वगैरह. संविधान में जितने अधिकार पुरुषों को हैं, उतने ही महिलाओं को भी हैं.
ऐसे में समाज में केवल महिलाओं से ही ऐसे सवाल करना कतई जायज नहीं है. ऐसी घटनाओं के लिए महिलाएं नहीं, बल्कि पुरुषों की ऐसी विकृत सोच जिम्मेदार है, जिसमें महिलाओं को केवल देह अर्थात उपभोग की वस्तु समझा जाता है. ऐसे में माता-पिता और समाज की जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने लड़कों से भी यही सवाल करें.
महेश कुमार, राजस्थान
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