डेटा सुरक्षा पर पहल
डिजिटल तकनीक के बढ़ते इस्तेमाल और ऑनलाइन अपराधों की बढ़ती तादाद के मद्देनजर डेटा सुरक्षा के लिए एक ठोस कानून की जरूरत है. लंबी कवायद के बाद तैयार ऐसे कानून का मसौदा अगले कुछ दिनों में संसद में पेश होने की उम्मीद है. यदि विधेयक पर दोनों सदनों व राष्ट्रपति की मुहर लग जाती है, […]
डिजिटल तकनीक के बढ़ते इस्तेमाल और ऑनलाइन अपराधों की बढ़ती तादाद के मद्देनजर डेटा सुरक्षा के लिए एक ठोस कानून की जरूरत है. लंबी कवायद के बाद तैयार ऐसे कानून का मसौदा अगले कुछ दिनों में संसद में पेश होने की उम्मीद है. यदि विधेयक पर दोनों सदनों व राष्ट्रपति की मुहर लग जाती है, तो देश को पहला डेटा सुरक्षा कानून मिल जायेगा. इसमें व्यक्तिगत डेटा को तीन श्रेणियों में बांटते हुए उनके संग्रहण, भंडारण व उपयोग के साथ लोगों की अनुमति लेने और कानून का उल्लंघन करने पर सजा देने की व्यवस्था की गयी है.
इंटरनेट कंपनियों को महत्वपूर्ण और संवेदनशील डेटा को देश में ही संग्रहित करना होगा तथा विशेष स्थितियों में व्यक्ति व सरकार की अनुमति से ही विदेश में उनका प्रसंस्करण किया जा सकेगा. व्यक्ति को अपने डेटा में सुधार करने, जानकारी लेने और उसे हमेशा के लिए हटा देने का अधिकार होगा. इसके लिए हर कंपनी के लिए डेटा सुरक्षा अधिकारी की नियुक्ति को भी अनिवार्य बना दिया गया है.
सरकार के पास किसी सरकारी विभाग या एजेंसी से जुड़े डेटा को जमा करने से रोकने का अधिकार इस विधेयक में दिया गया है. ऐसे प्रावधानों से डेटा के दुरुपयोग की आशंकाओं पर रोक लगने की आशा है तथा लोग भी आश्वस्त व सशक्त हो सकेंगे. सोशल मीडिया के उपयोगकर्ताओं की पहचान सत्यापित होने से ऑनलाइन गतिविधियों में स्पष्टता एवं पारदर्शिता भी बढ़ सकेगी. साइबर अपराधों के मुख्य कारण डेटा का असुरक्षित होना है. इंटरनेट कंपनियां भी कानूनी प्रावधानों के अभाव में लापरवाह रवैया अपनाती हैं. उनके द्वारा डेटा के बेजा इस्तेमाल के लिए दूसरी कंपनियों को बेचने या देने अनेक गंभीर मामले भी सामने आ चुके हैं. कई आलोचकों का मानना है कि डेटा के स्थानीय स्तर पर रखने की व्यवस्था सूचना के स्वतंत्र आदान-प्रदान पर नकारात्मक असर डाल सकती है, जिससे आर्थिक गतिविधियों को नुकसान हो सकता है.
यह रेखांकित करना भी जरूरी है कि देश के हित, सुरक्षा व अंतरराष्ट्रीय संबंधों को प्रभावित करनेवाले डेटा को ही भारत से बाहर ले जाने पर पाबंदी का प्रस्ताव है. सामान्य डेटा पर यह रोक नहीं है, पर उसकी एक प्रति देश में रखना होगा. विधेयक के अनुसार, राष्ट्रीय सुरक्षा व संप्रभुता के आधार पर सरकार इंटरनेट व सोशल मीडिया कंपनियों से किसी भी व्यक्ति के डेटा को हासिल कर सकेगी. सरकारी एजेंसी को छूट देने और व्यक्तिगत डेटा लेने के अधिकारों का प्रयोग सावधानी से होना चाहिए, ताकि लोगों की निजता व स्वतंत्रता पर आंच न आये तथा उनकी वैध गतिविधियों पर नकारात्मक प्रभाव न हो.
किसी एजेंसी या अधिकारी द्वारा अनाधिकृत उद्देश्यों के लिए प्राप्त डेटा के उपयोग की आशंका का भी निवारण किया जाना चाहिए. ऐसे कानून से न केवल डेटा को सुरक्षित रखना आसान होगा, बल्कि डिजिटल अर्थव्यवस्था के नियमन के अधिकार मिल जाने से सरकार के सामने आर्थिकी के विस्तार की संभावनाओं को भी साकार करने का अवसर होगा.