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जरूरी है कि हम बच्चों को सुनें

प्रसांता दास चीफ, यूनिसेफ, झारखंड pdash@unicef.org इस वर्ष संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार समझौता (यूएनसीआरसी) की 30वीं वर्षगांठ मनायी जा रही है. भारत ने यूएनसीआरसी के प्रस्ताव पर 1992 में हस्ताक्षर किया था तथा बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण एवं संरक्षण के अधिकारों को लागू करने के प्रति प्रतिबद्धता जतायी थी. यूएनसीआरसी, इतिहास में अब तक […]

प्रसांता दास

चीफ, यूनिसेफ, झारखंड

pdash@unicef.org

इस वर्ष संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार समझौता (यूएनसीआरसी) की 30वीं वर्षगांठ मनायी जा रही है. भारत ने यूएनसीआरसी के प्रस्ताव पर 1992 में हस्ताक्षर किया था तथा बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण एवं संरक्षण के अधिकारों को लागू करने के प्रति प्रतिबद्धता जतायी थी.

यूएनसीआरसी, इतिहास में अब तक की सबसे व्यापक मानवाधिकार संधि है, जिसने पिछले 30 वर्षों में दुनिया में बच्चों की स्थिति को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है. भारत के लिए इस समझौते का काफी महत्व है, क्योंकि दुनिया में बच्चों की आबादी का पांचवां हिस्सा यहां रहता है.

अपने गठन से लेकर अब तक के पिछले 19 वर्षों में झारखंड ने काफी प्रगति की है. झारखंड ने सतत विकास लक्ष्य 2030 को अपनाया है, जिसके तहत समावेशी और सतत विकास विकास लक्ष्य की प्राप्ति तथा ‘कोई पीछे न रह जाये’ के सिद्धांत को सुनिश्चित करने का संकल्प किया है.

हालांकि, काफी बच्चे अब भी विकास की इस यात्रा में पीछे रह गये हैं. पुरानी चुनौतियों एवं नयी समस्याओं ने एक साथ मिल कर कई बच्चों को उनके अधिकारों तथा विकास के लाभों से वंचित किया है. झारखंड में 60 लाख से अधिक बच्चे ग्रामीण क्षेत्र में रहते हैं, जिनके पास अब भी आगे बढ़ने और विकास का लाभ लेने के अवसर काफी कम हैं.

यूनिसेफ बाल अधिकार समझौते के प्रति प्रतिबद्ध है तथा बच्चों में कुपोषण का समाधान करने, बाल विवाह खत्म करने, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने तथा सभी बच्चों के लिए शत-प्रतिशत टीकाकरण, स्वच्छता सुविधाओं तथा स्वच्छ जल के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए काम कर रहा है.

यूनिसेफ ने भारत सरकार के साथ जेनरेशन अनलिमिटेड की शुरुआत की है, जिसके तहत हम विभिन्न क्षेत्र एवं एजेंसियों के लोगों को साथ ला रहे हैं, जिसका उद्देश्य युवाओं को उनके उम्र के अनुरूप शिक्षा, प्रशिक्षण एवं रोजगार/नौकरी देना है. इस पहल को युवा (वाइयूडब्ल्यूएएएच) कहते हैं, जो युवाओं की क्षमता का परिचायक है.

यूनिसेफ, भारत सरकार एवं संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों, नागरिक समाज संगठनों, निजी क्षेत्रों तथा युवाओं के साथ मिल कर काम कर रहा है, ताकि किशोरों एवं युवाओं की समस्याओं का समाधान करके उनको अवसर एवं प्लेटफॉर्म प्रदान किया जा सके. हम चाहते हैं कि युवा और किशोर पूरी तरह से कौशलयुक्त बनें, ताकि अपनी शिक्षा पूरी करके जब वे रोजगार के क्षेत्र में जाएं, तो उन्हें अपना लक्ष्य पाने में किसी प्रकार की बाधा का सामना नहीं करना पड़े.

हम एक नये दशक का स्वागत करने जा रहे हैं. ऐसे में समाज के सभी वर्गों के सामूहिक प्रयासों से ही सभी बच्चों के लिए एक सकारात्मक वातावरण का निर्माण किया जा सकता है, जिससे झारखंड के सारे बच्चे जिन समस्याओं से आज जूझ रहे हैं, उनके समाधान का बेहतर रास्ता निकाला जा सकता है.

सर्वप्रथम हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि बुनियादी सेवाएं हर अंतिम पंक्ति में खड़े लड़कों, लड़कियों तथा परिवारों तक पहुंचे, खासकर सुदूर क्षेत्रों में रहनेवाले बच्चों तक. इसे सुनिश्चित करके ही बच्चों की समस्याओं का समाधान किया जा सकता है तथा एनीमिया, कुपोषण, जिनकी रोकथाम संभव है बचपन की वे बीमारियां और अस्वच्छता आदि से उन्हें मुक्ति दिलायी जा सकती है.

दूसरी बात जिसकी विशेष आवश्यकता है, वह है समाज के प्रभावी लोग बच्चों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए आगे आएं तथा सामाजिक परिवर्तन के वाहक बनें. इससे न केवल बच्चों को संरक्षण मिलेगा, बल्कि उन्हें हिंसा, शोषण, बाल विवाह एवं बाल श्रम जैसी प्रताड़नाओं से छुटकारा भी दिलाया जा सकेगा.

तीसरी बात जो बेहद महत्वपूर्ण है, वह यह है कि निर्वाचित प्रतिनिधि, सरकारी अधिकारीगण, धाार्मिक नेतागण, नागरिक संगठन तथा समस्त समुदाय को एक साथ मिल कर काम करना होगा, ताकि बच्चों की हितैषी और उनके प्रति संवेदनशील समाज का निर्माण किया जा सके, जो पूरी तरह बच्चों के हितों के लिए प्रतिबद्ध हो.

यूनिसेफ के लिए यूएनसीआरसी एक मार्गदर्शक का काम करता है, जिसके तहत हम बच्चों के जीवन, विकास, सुरक्षा तथा भागीदारी के लिए काम करते हैं. यह जरूरी है कि हम बच्चों की सुनें तथा उनके सपनों, आशाओं और आकांक्षाओं के बारे में जानें. तभी हम उनके लिए एक ऐसे वर्तमान एवं भविष्य का निर्माण कर पायेंगे, जो उनकी आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करनेवाला होगा.

बच्चे हमारी आशा और प्रेरणा के केंद्र हैं. यह बाधाओं से हार न मानने की उनकी हिम्मत ही है, जो हमें प्रतिदिन प्रेरित करती है. उनकी रचनात्मकता हमें दुनिया को नये सिरे से देखने में मदद करती है और इसे बेहतर बनाने के लिए नये तरीकों के बारे में सोचने का मार्ग दिखाती है. बच्चों को संरक्षण प्रदान करने तथा उन्हें अपनी क्षमता प्राप्त करने के लिए अवसर देने की जरूरत है, क्योंकि वे ही हमारे भविष्य हैं.

हमें यूएनसीआरसी को अपने दिल के करीब रखने की जरूरत है, खासकर जब हम बच्चों के भविष्य की योजनाएं बनाएं, तो इसके प्रावधानों का ध्यान जरूर रखें और सुनिश्चित करें कि हम प्रत्येक बच्चे के लिए किये गये अपने वादे को जरूर पूरा करेंगे.

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